फ्लैश बैक: चंद्रपुर-अमरावती-भंडारा लोस क्षेत्र में पति के बाद पत्नी ने संभाली राजनीतिक विरासत

  • विदर्भ में कई आंदोलनों में भी रही है महिलाओं की सक्रिय भूमिका
  • विमल देशमुख अमरावती की पहली महिला सांसद

Tejinder Singh
Update: 2024-04-15 13:46 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथसिंह लोधी | विदर्भ में महिलाएं सामाजिक ही नहीं, राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय रही हैं। ऐसे भी कई मौके आए हैं जब यहां आंदोलनों का नेतृत्व महिलाओं ने किया है। फिलहाल यहां दो चरण में लोकसभा चुनाव का वातावरण गर्माया है। पहले चरण में 19 और दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। प्रसंगवश यह भी जान लें कि इस क्षेत्र में कई दिग्गजों की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उनके घर से महिला प्रतिनिधि सामने आती रही हैं। अब तक क्षेत्र से 10 लोकसभा सदस्य चुनी गईं, इनमें से 3 सदस्य पति की मृत्यु के बाद उपचुनाव में जीती थीं। सबसे पहले बात करते हैं चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्र की। सांसद बालू धानोरकर की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी प्रतिभा धानोरकर को कांग्रेस ने इस बार उम्मीदवार बनाया है। कह सकते हैं कि प्रतिभा अपने पति की सीट को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। यह वही क्षेत्र हैं, जहां से मारोतराव कन्नमवार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। 25 रुपए महीने की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए कन्नमवार का काफी प्रभाव था। 1962 में चंद्रपुर लोकसभा के लिए उपचुनाव हुआ था। निर्दलीय सांसद लाल शामशाह के इस्तीफे के बाद क्षेत्र में राजनीतिक नेतृत्व की कमी महसूस होने लगी थी। 1 वर्ष 4 दिन मुख्यमंत्री रहने के बाद कन्नमवार की भी मृत्यु हो गई थी। ऐसे में पति की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए गोपिका कन्नमवार ने उपचुनाव लड़ा। हिंगणघाट में जन्मी गोपिका एक सामान्य भोजनालय चलाती थीं। राजनीतिक अनुभव नहीं होने के बाद भी उन्होंने उपचुनाव जीता था। गोपिका राज्यसभा सदस्य भी चुनी गईं।


विमल देशमुख अमरावती की पहली महिला सांसद

देश के पहले कृषिमंत्री पंजाबराव देशमुख की विरासत को बचाने का प्रयास उनकी पत्नी विमल देशमुख ने किया। 1962 में पंजाबराव देशमुख की मृत्यु के बाद अमरावती में लोकसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी विमल देशमुख जीतीं। अमरावती में अब तक 4 महिला सांसद चुनी गई हैं। विमल पहली महिला सांसद थीं।


अनुसया बोरकर से हार गए थे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

भंडारा लोकसभा क्षेत्र में 1952 में भाऊराव बोरकर पहले सांसद चुने गए थे। 1955 में उनकी मृत्यु के बाद उपचुनाव में अनुसया बोरकर चुनाव जीतीं। कांग्रेस उम्मीदवार अनुसया बोरकर ने उस उपचुनाव में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को पराजित किया था। अनुसया, भाऊराव बोरकर की पत्नी थीं। अनुसया तत्कालीन नागपुर प्रांतीय कांग्रेस की सदस्य थीं, लेकिन उन्हें अधिक राजनीतिक अनुभव नहीं था। ऐसी ही स्थिति चंद्रपुर में गोपिका कन्नमवार व अमरावती में विमल देशमुख की थी। लिहाजा कांग्रेस पर तंज कसा जाता रहा है कि उसने न केवल डॉ. आंबेडकर को जानबूझकर पराजित किया, बल्कि चुनाव लड़ने-लड़ाने के लिए कार्यकर्ताओं को महत्व देने के बजाय परिवार व पत्नी को मौका दिया गया।

(अगल कार्यक्रम)

नितीन गडकरी काटोल में सभा

कार्यक्रम: सोमवार, 15 अप्रैल की सुबह 11 बजे कृषि उत्पन्न बाजार समिति, ओल्ड यार्ड, काटोल में तथा जूना मोटर स्टैंड, उमरेड में 3.30 बजे चुनावी सभा को संबोधित करेंगे।

डॉ. दिनेश शर्मा अमरावती में सभा

कार्यक्रम: सोमवार, 15 अप्रैल को दोपहर 12.30 बजे अमरावती में उत्तर भारतीय सम्मेलन को संबोधित करेंगे। 

 

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