हर रोज भूखे सो जाते हैं 125 बच्चे, मामला शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय का

हर रोज भूखे सो जाते हैं 125 बच्चे, मामला शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय का

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-06 15:41 GMT
हर रोज भूखे सो जाते हैं 125 बच्चे, मामला शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय का

डिजिटल डेस्क, शहडोल। दिखावे के लिए आलीशन बिल्डिंग तो तान दी गई, लेकिन यहां से व्यवस्थाएं नदारद हैं। 360 सीटर आवासीय विद्यालय में यूं तो325 छात्र-छात्राएं दर्जं हैं, लेकिन खाना केवल 200 को दिया जा रहा है, जबकि 125 बच्चे कई बार भूखे पेट ही सो जाते हैं। अधिकारी वही रटा रटाया जवाब दे रहे हैं, अभी बजट नहीं है, जिसके कारण व्यवस्थाओं को पूरा नहीं किया जा सका है।

दो सालों से है यही हाल
संभागीय मुख्यालय के सबसे बड़े और आलीशान भवन से युक्त विचारपुर स्थित शासकीय ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय संसाधनों की कमी ओर कुप्रबंधन से जूझ रहा है। भवन तो आलीशान ढंग से बना हुआ है, लेकिन अदरूनी व्यवस्था के नाम पर पूरी तरह खोखला है। यह अव्यवस्था और कमी पिछले दो सालों से बनी हुई है। लेकिन आदिवासी विद्यार्थियों की दयनीय हालत की ओर न तो प्रबंधन और न ही संबंधित विभाग ध्यान दे रहा है।

ऐसे करते हैं एडजेस्ट
आवासीय विद्यालय के पास मौजूदा समय में 200 बच्चों के हिसाब से पलंग, बिस्तर और भोजन बनाने की सुविधा है। बर्तन भी कम हैं। 100-100 सीटर से प्रारंभ हुए संस्थान में हर वर्ष 40-40 सीट के मान से बालक-बालिकाओं की संख्या बढ़ाती जाती रही, लेकिन संसाधनों की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक पलंग पर 2 से 4 बच्चों को सुलाया जा रहा है। भोजन के लिए थाली व गिलास कम होने के कारण संख्या के आधार पर पहले भोजन के बाद अन्य बच्चे दूसरी बार में बारी का इंतजार करते रहते हैं।

ये सुविधाएं भी नहीं
ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय में कक्षा 6 वीं से लेकर 12 वीं तक तीन सैकड़ा से भी अधिक बच्चे हैं। विज्ञान व अन्य विषयों के प्रैक्टिकल के लिए सुविधा नहीं मिलती। लैब में पूरे सामान तक नहीं हैं। मैदान तो लेकिन खेल सामग्रियों का अभाव बना हुआ है। इस प्रकार यहां के बच्चों में न तो मानसिक विकास हो पा रहा है और न ही शारीरिक।

नहीं मिला बजट
विद्यालय के अधीक्षक व प्राचार्य जेएस पुट्टा ने बताया कि छात्र संख्या के अनुसार बजट नहीं आ रहा है। छतवई में 80-80 सीटर के मान से जो बजट आता था उसके बाद बढ़ोतरी नहीं की गई है। कई बार विभाग के अधिकारियों को पत्राचार किया है।

इनका कहना है
आवासीय विद्यालय की समस्या के बारे में जानकारी है। दो साल से बजट नहीं आ रहा है। विभाग के भोपाल स्थित आयुक्त से पत्राचार किया है, संभावना है कि निराकरण शीघ्र ही होगा।
जेपी सरवटे, उपायुक्त जनजातीय कार्य विभाग

 

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