बालाघाट जिले के 125 गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से हैं वंचित, छत पर चढ़कर या गांव से बाहर निकलकर करनी पड़ती है बात

 सरकारी योजनाओं से जुड़े मैसेज से रह जाते हैं महरूम   बालाघाट जिले के 125 गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से हैं वंचित, छत पर चढ़कर या गांव से बाहर निकलकर करनी पड़ती है बात

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-28 10:10 GMT
बालाघाट जिले के 125 गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से हैं वंचित, छत पर चढ़कर या गांव से बाहर निकलकर करनी पड़ती है बात

डिजिटल डेस्क बालाघाट । आधुनिकता के दौर में जब हर हाथ में स्मार्टफोन हैं, जब सारे जहां की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है, तब बालाघाट जिले के 125 गांव आज भी मोबाइल और लैंडलाइन कनेक्टिविटी से वंचित हैं। रीवा के सांसद जर्नादन मिश्रा द्वारा लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में 4 अगस्त 2021 को केंद्रीय संचार मंत्रालय द्वारा यह जानकारी साझा की गई है। जिसके अनुसार, बालाघाट में ऐसे कुल 125 गांव हैं, जहां दूरसंचार कनेक्टिविटी नहीं है। यही वजह है कि इन गांवों में रहने वाले बहुत कम लोगों के पास ही मोबाइल है। जिनके पास है, वो मोबाइल पर बातचीत करने के लिए गांव से बाहर जाते हैं या फिर ऐसा ठिकाना खोजते हैं, जहां थोड़ा भी नेटवर्क मिलता हो। इनमें ज्यादातर बैहर, परसवाड़ा, लांजी, उकवा के जंगलों में बसे वनग्राम हैं, जहां यहां आज भी आदिवासी ग्रामीणों को मोबाइल पर बात करने के लिए परेशान होना पड़ता है। इतना ही नहीं पीडीएस राशन, उज्ज्वला योजना, पीएम-सीएम किसान निधि जैसी सरकारी योजनाओं से जुड़े एसएमएस के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। अपनों से बातचीत करने के लिए कई बार लोग घर की छत या पेड़ पर चढ़कर बातचीत करने मजबूर होते हैं।
बालाघाट चौथे पायदान पर
केंद्रीय संचार मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार मोबाइल कनेक्टिविटी के मामले में मध्यप्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में बालाघाट चौथे पायदान पर है। बालाघाट में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 1272 में से 125 गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से वंचित हैं। जबकि पहले स्थान पर बैतूल 210, दूसरे पर छिंदवाड़ा 183 और तीसरे पर 176 गांवों के साथ डिंडोरी है।
संचार क्रांति से कोसो दूर हैं ग्रामीण
जानकारी के अनुसार, दूरसंचार संयोजकता यानी कनेक्टिविटी के मामले में बैहर क्षेत्र के वनग्राम ज्यादा प्रभावित हैं। गढ़ी इलाके की कई ग्राम पंचायतों में आने वाले गांवों में आज भी लोग संचार क्रांति से कोसो दूर हैं। इनके अलावा दक्षिण बैहर के वनग्रामों में भी लोगों को मोबाइल पर बातचीत करने के लिए परेशान होना पड़ता है। सोनेवानी जंगल, गढ़ी क्षेत्र के घने जंगलों में बसे कम आबादी वाले छोटे-छोटे गांवों में संचार क्रांति अब तक नहीं पहुंची है। 
इनका कहना है
गांवों को मोबाइल कनेक्टिविटी से जोडऩे के लिए सरकार प्रयास कर रही है। ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड पहुंचाने की योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। जहां नेटवर्क नहीं है वहां बच्चों को रेडिया या टेलीविजन के माध्यम से पढ़ाई कराने का प्रयास भी किया जा रहा है। 
डॉ. ढालसिंह बिसेन, सांसद
मोबाइल कनेक्टिविटी से सबसे ज्यादा वनग्राम प्रभावित हैं। ऐसी ग्राम पंचायतों में नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए निजी टेलीकॉम कंपनियां आवेदन दे रही हैं, जिन्हें टॉवर लगाने की अनुमति भी प्रदान की जा रही है। दूरस्थ गांवों में नेटवर्क पहुंचाने के लिए शासन स्तर पर प्रयास जारी हैं। जल्द ही वहां नेटवर्क की सुविधा पहुंचेगी। 
उमा माहेश्वरी, सीईओ, जिला पंचायत
 

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