हाईटेंशन तारों के नीचे हैं 468 मकान, हाईकोर्ट ने कहा- पड़ताल के बाद हो कार्रवाई

हाईटेंशन तारों के नीचे हैं 468 मकान, हाईकोर्ट ने कहा- पड़ताल के बाद हो कार्रवाई

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-28 05:54 GMT
हाईटेंशन तारों के नीचे हैं 468 मकान, हाईकोर्ट ने कहा- पड़ताल के बाद हो कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में हाईटेंशन तारों के समीप हुए अनधिकृत निर्माण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर, महावितरण के कार्यकारी संचालक, अधीक्षक अभियंता व अन्य अधिकारी उपस्थित थे। झोपड़पट्टी निवासियों ने मनपा की कार्रवाई को अवैध बताया। हाईकोर्ट ने विविध अर्जियों पर गौर किया और सभी पक्षों को सुनने के बाद मनपा को झोपड़पट्टी निवासियों पर सीधे तौर पर कार्रवाई नहीं करने को कहा। हाईकोर्ट ने मनपा को पहले सभी दस्तोवजों की पड़ताल करके यह सुनिश्चित करने को कहा है कि झोपड़पट्टी निवासियों का निर्माणकार्य अवैध है या नहीं। इसका सर्वे करने के बाद ही निर्माणकार्य अवैध होने पर कार्रवाई करें।

की जा सकती है पर्यायी व्यवस्था
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि समिति द्वारा बताए गए ऐसे 468 घर हैं, जो हाईटेंशन लाइन के ठीक नीचे बने हैं, उन्हें तोड़ने की अनुमति है। इसके अलावा हाईटेंशन के नजदीक बने अवैध घरों के मालिक यदि हाईटेंशन लाइन की पुनर्रचना के लिए खर्च में अपना योगदान देने को राजी हों, तो मनपा और महावितरण को इस पर निर्णय लेना होगा। समिति की रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया है कि शहर में 4 हजार 149 निर्माणकार्य हाईटेंशन लाइन के नजदीक बनाए गए हैं। इसमें से 468 घरों को तोड़ना जरूरी है। 432 ऐसे निर्माणकार्य हैं, जिनकी पर्यायी व्यवस्था की जा सकती है। शेष घरों को लेकर महावितरण विविध उपाय कर सकती है। समिति ने इन लोगों पर जुर्माना लगाने के साथ ही हाईटेंशन तारों पर इंसुलेटर लगाने, अंडरग्राउंड केबलिंग करने या फिर उनकी दिशा बदलने मंे से कोई एक विकल्प चुनने की सिफारिश की है। 

हाईकोर्ट को हुआ संदेह
18 नवंबर को हाईकोर्ट ने हाईटेंशन के पास बने अवैध निर्माणकार्य गिराने के आदेश मनपा को दिए थे। इसके बाद मनपा ने सभी अवैध निर्माणकार्यों और घरों को गिराने का काम शुरू किया। इससे अनेक झोपड़पट्टियों और रिहायशी इलाकों के नागिरकों ने हाईकोर्ट में मध्यस्थी अर्जी दायर की। इसमें इंदिरा नगर झोपड़पट्टी निवासियों का भी समावेश था। सुनवाई के दौरान दस्तावेजों पर गौर करने पर हाईकोर्ट के ध्यान में आया कि इन अर्जदारों में ऐसे भी कई लोग हैं, जो उस झोपड़पट्टी के निवासी नहीं हैं, उनके पहचान-पत्र पर कहीं और का पता दर्ज है। इसे हाईकोर्ट को गुमराह करने वाला कदम बता कर हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। मामले में एड. श्रीरंग भंडारकर न्यायालयीन मित्र की भूमिका में हैं। मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कामकाज देख रहे हैं।

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