कहीं नहीं दिखे 6 करोड़ पौधे- दिग्विजय सिंह के नर्मदा परिक्रमा समापन समारोह में बोले कमलनाथ

कहीं नहीं दिखे 6 करोड़ पौधे- दिग्विजय सिंह के नर्मदा परिक्रमा समापन समारोह में बोले कमलनाथ

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-09 13:53 GMT
कहीं नहीं दिखे 6 करोड़ पौधे- दिग्विजय सिंह के नर्मदा परिक्रमा समापन समारोह में बोले कमलनाथ

डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा 6 माह 30 सितंबर 2017 को पूर्व प्रारंभ की गई पैदल परिक्रमा का सोमवार को बरमान के नर्मदा तट रेतघाट में ही समापन हुआ। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्री ङ्क्षसह ने कहा कि 20 वर्ष पूर्व किया गया संकल्प मां नर्मदा की कृपा से पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि इसकी अनुभूति उन्हें मंडला के रेस्ट हाउस में हुई थी जिसकी चर्चा उन्होंने अपने साथी रामेश्वर नीखरा से की थी। इसके बाद नर्मदा परिक्रमा के महत्व को समझा। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज से आशीर्वाद लिया तथा यह परिक्रमा शुरु की। नर्मदा परिक्रमा के अनुभव पर उन्होंने कहा कि नर्मदा परिक्रमा में एक अजीब बात है इसमें व्यक्ति खाली झोली लेकर जाता है, भरी झोली लेकर लौटता है। अन्य तीर्थों में भरी झोली लेकर जाते हैं और खाली झोली लेकर लौटते हैं।
6 करोड़ पौधे कहीं नहीं दिखे
नर्मदा परिक्रमा समापन उत्सव में आये पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा को बड़ा आश्चर्य बताते हुए कहा कि ऐसी तपस्या साधारण मनुष्य नहीं कर सकता। परिक्रमा शुरु करने से पहले जब उन्होंने मुझसे चर्चा की थी तो मुझे लगा था कि वे मजाक कर रहे हैं। कमलनाथ ने इस मौके पर चुटकी लेते हुए कहा कि जब वे हेलीकाप्टर से आ रहे थे तो नर्मदा तट के आसपास रोपे गए 6 करोड़ पौधे देख रहे थे, लेकिन वे कहीं दिखाई नहीं दिए।
एवरेस्ट चढऩे से कठिन नर्मदा परिक्रमा
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढऩा सबसे कठिन काम माना जाता है, लेकिन नर्मदा परिक्रमा उससे भी अधिक कठिन है। दिग्विजय सिंह दृढ़ निश्चयी, सभी धर्मों के प्रति सम्मानभाव रखने वाले तथा गरीब, असहाय, दुखी और जरुरतमंद लोगों की सेवा करने वाले व्यक्ति हैं। श्री तन्खा ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा के बाद दिग्विजय जी में नई ऊर्जा देखने मिलेगी।
मां नर्मदा का अपना महत्व
पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि मां नर्मदा और उनके पावन तटों का अपना महत्व है। आदि शंकराचार्य महाराज ने नर्मदाष्टक की रचना नर्मदा तट पर ही की थी। नर्मदा लोगों की आस्था की केन्द्र है, इनकी परिक्रमा से मनोकामना पूर्ण होती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नर्मदा को स्वच्छ बनाने का लें संकल्प
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि नर्मदा जीवन दायिनी है। इनसे प्रदेश में खुशहाली है। हमारे ऊपर इनकी बड़ी कृपा है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से नर्मदा की दुर्दशा की जा रही है इस आयोजन में हम नर्मदा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प लें।
तप से होती है तृष्णाएं समाप्त
अभा कांग्रेस के महासचिव एवं प्रभारी मप्र दीपक बावरिया ने कहा कि तप या कोई धार्मिक आयोजन किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए शुरु किया जाता है, लेकिन इसके करने से मन साफ और शुद्ध हो जाता है। तप से तृष्णाएं समाप्त हो जाती हैं।
लंबे समय तक याद रखने लायक कार्य
अभा कांग्रेस सचिव तथा मप्र सहप्रभारी संजय कपूर ने कहा कि कोई काम कहना बहुत आसान है, लेकिन करना कठिन है। दिग्विजय सिंह जी ने पैदल नर्मदा परिक्रमा करके बहुत बड़ा काम किया है जो लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
सुनाए संस्मरण
नर्मदा पथिक रामेश्वर नीखरा एवं दिग्विजय सिंह की धर्मपत्नी अमृता सिंह ने नर्मदा परिक्रमा से जुड़े रोचक और प्रेरणादायक संस्करण सुनाये तथा परिक्रमा का महत्व बताया।
मां नर्मदा जीवनदायिनी
द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने मां नर्मदा को जीवनदायिनी निरुपित करते हुए कहा कि इनके दर्शन मात्र से पुण्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने धर्म का महत्व बताते हुए कहा कि धर्म से जीवन अनुशासित रहता है, यह संसार को आपस में जोड़ता है। नर्मदा परिक्रमा के महत्व पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने नर्मदा के अवैध उत्खनन और गंगा का प्रवाह रोकने बनाए जा रहे बांधों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे हमारी पवित्र नदियों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। इस मौके पर गृहस्थ संत पंउित देव प्रभाकर शास्त्री ने सभी नर्मदा पथिकों को आशीर्वाद दिया।
 

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