मेट्रो रेल पर खर्च हो चुके हैं 6237 करोड़ रुपए , आमदनी मात्र 41 लाख 86 हजार

मेट्रो रेल पर खर्च हो चुके हैं 6237 करोड़ रुपए , आमदनी मात्र 41 लाख 86 हजार

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-11 08:49 GMT
मेट्रो रेल पर खर्च हो चुके हैं 6237 करोड़ रुपए , आमदनी मात्र 41 लाख 86 हजार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो रेल की अब तक की कार्यप्रणाली पर नजर डाले तो शहरवासियों ने अभी तक मेट्रो रेल को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया है। मेट्रो रेल कार्पोरेशन नागपुर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर अभी तक 6237.34 करोड़ की निधि खर्च कर चुका है, जबकि मेट्रो रेल में 3 अक्टूबर 2019 तक 2 लाख 15 हजार 192 यात्रियों ने सफर किया आैर इससे मेट्रो रेल प्रशासन को 41 लाख 86 हजार 860 रुपए का राजस्व मिलने का खुलासा आरटीआई में हुआ है। मेट्रो रेल प्रशासन की तरफ से नागपुर में उत्तर दक्षिण 19.658 किमी व पूर्व पश्चिम 18.557 किमी का मेट्रो रेल काॅरीडोर बना चुका है। कुल 38.215 किमी तक मेट्रो रेल काॅरीडोर बन गए है।

मेट्रो रेल के कुल 38 स्टेशन है। 8 मार्च 2019 से खापरी से सीताबर्डी तक मेट्रो रेल शुरू हो चुकी है। लोकमान्य नगर से सीताबर्डी तक का 11 किमी का काम पूरा हो चुका है आैर यह रूट शीघ्र ही यात्रियों के लिए शुरू हो सकता है। 30 सितंबर 2019 तक 6237.34 करोड़ की निधि खर्च हो चुकी है। प्रोजेक्ट में अभी आैर निधि खर्च होगी। महा मेट्रो की तरफ से रीच- 2 में 4.63 किमी का रास्ता बनाया गया, जिस पर 3.79 करोड़ खर्च हुए। रीच- 4 में 5 किमी के नए रास्ते भी बनाए, जिस पर 3 करोड़ 69 लाख 54 हजार 43 रुपए खर्च हुए है। रीच- 4 में ही 16 किमी के रास्ते का काम चल रहा है। इसके लिए 9 करोड़ 86 लाख 26 हजार 155 रुपए  आवंटित  हुए है।  रीच- 3 में 10.816 किमी से 3.8 किमी रास्ता बन चुका है। रीच- 2 में रास्तों की मरम्मत पर 0.53 करोड़ खर्च हुआ है। रीच- 4 में 7.50 किमी रास्ते की मरम्मत की जा चुकी है। 

जैसा चाहिए वैसा प्रतिसाद नहीं मिला 
करोड़ों की लागत से नागपुर में बनी मेट्रो रेल को शहरवासियों का जैसा चाहिए, वैसा प्रतिसाद नहीं मिल रहा। अब तक जो राजस्व प्राप्त हुआ, उससे यहीं लगता है कि लोग अभी भी परिवहन में या शहर भ्रमण में मेट्रो रेल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैै। यातायात की समस्या को देखते हुए लोगों ने मेट्रो रेल में सफर करना चाहिए। इससे यातायात संबंधी समस्या दूर होने के साथ ही मेट्रो रेल प्रशासन को राजस्व भी मिलेगा। 
-अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट, नागपुर

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