सोशल मीडिया : तीन माह में 84 प्रकरण साइबर सेल के पास पहुंचे, 22 का ही निपटारा

सोशल मीडिया : तीन माह में 84 प्रकरण साइबर सेल के पास पहुंचे, 22 का ही निपटारा

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-20 08:11 GMT
सोशल मीडिया : तीन माह में 84 प्रकरण साइबर सेल के पास पहुंचे, 22 का ही निपटारा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में सोशल मीडिया से जुड़े आपराधिक प्रकरणों का ग्राफ बढ़ने लगा है। क्राइम ब्रांच का साइबर सेल लगातार इसका तोड़ निकालने में लगा हुआ है, फिर भी तकनीक के आगे कानून के हाथ छोटे साबित हो रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 में 455 प्रकरण साइबर सेल के पास पहुंचे है। इसमें से 259 प्रकरणों का पुलिस ने निपटारा किया है। वर्ष 2019 में जनवरी, फरवरी और मार्च में कुल 84 प्रकरण साइबर सेल के पास पहुंचे। इसमें से 22 प्रकरणों को पुलिस ने सुलझा लिया है। सूत्रों की मानें तो साइबर सेल के पास सोशल मीडिया से जुड़े दर्जनों प्रकरण हर महीने पहुंच रहे हैं।

काफी मचा था बवाल
कोतवाली, तहसील, शांति नगर थाने में वर्ष 2017 में सोशल मीडिया  से जुड़े अपराध दर्ज हुए थे। एक समुदाय के धर्मगुरु के संबंध में आपत्तिजनक संदेश सोशल मीडिया के जरिए फैलाया गया था। दो समूदायों के बीच टकराव की नौबत आ गई थी। आतंकी घटनाओं में भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। युवाओं को भ्रमित कर आतंकी संगठनों से जोड़ा गया है। फेसबुक और वाट्सएप पर युवतियों को गलत संदेश और आपत्तिजनक फोटो भेजने के मामले आए दिन उजागर होते रहे हैं। आर्थिक धोखाधड़ी में भी ऑनलाइन पैसे की हेरा-फेरी की घटनाएं रोजाना थानों में दर्ज होते रही हैं। 

ग्रुप एडमिन की हुई हैं  गिरफ्तारियां 
मुंबई में तीन दर्जन से भी अधिक ग्रुप एडमिन की गिरफ्तारियां हुई हैं। नागपुर में भी सैकड़ों प्रकरण पुलिस के पास पहुंचे हैं। गत कुछ महीने के भीतर देश भर में मुंबई, पुणे, चेन्नई सहित अन्य महानगरों में सोशल मीडिया से जुड़े कुल 260 मामले थानों में दर्ज हुए हैं। अकेले मुंबई में भी तीन दर्जन लोगोें की गिरफ्तारियां हुई हैं। नागपुर में भी अपराध शाखा के साइबर सेल के पास इस तरह के मामले पहुंचे हैं।

असामाजिक तत्वों के लिए बना हथियार 
सोशल मीडिया आज सूचनाओं के  आदान-प्रदान का सबसे सशक्त माध्यम है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल कई निर्दोषों पर भारी पड़ रहा है। या दूसरे शब्दों में कहें तो असामाजिक तत्वों के लिए यह िकसी हथियार से कम नहीं। कहीं दो समुदायों के बीच जहर फैलाया जा रहा, तो कहीं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। आर्थिक धोखाधड़ी की घटनाओं ने हद पार कर ली है।

अहम बात : जिसे जानना जरूरी
बच्चों और महिलाओं को तंग करना
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करने के मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत सजा का प्रावधान है। दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है।

सख्त कानून
अपने देश में साइबर क्राइम के मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 लागू होते हैं, मगर इसी श्रेणी के कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।

जुर्माना और सजा का प्रावधान
सोशल मीडिया के प्रकरण साइबर अपराध के तहत दर्ज होते है। ऐसे प्रकरण धारा 295, 504 और 507 के तहत दर्ज िकए जा सकते हैं। अधिवक्ता हितेश खड़वानी की मानें तो इसमें दो से तीन वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना कितना होगा, यह अदालत पर निर्भर करता है।

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