उत्तर-पूर्व आदान-प्रदान कार्यक्रम में संस्कृति से रूबरू होने का मौका - सोले

उत्तर-पूर्व आदान-प्रदान कार्यक्रम में संस्कृति से रूबरू होने का मौका - सोले

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-12 11:14 GMT
उत्तर-पूर्व आदान-प्रदान कार्यक्रम में संस्कृति से रूबरू होने का मौका - सोले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भिन्न-भिन्न भाषा और भिन्न-भिन्न देश हैं, लेकिन अपना एक भारत देश है। हमारा भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां विभिन्न भाषाओं, धर्म, संप्रदाय और संस्कृतियों के लोग निवास करते हैं। भारत की संस्कृति की बात ही निराली है। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए युवाओं का मैं स्वागत करता हूं। उन्हें महाराष्ट्र की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा। उक्त विचार कार्यक्रम के उद्घाटक विधायक अनिल सोले ने  नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा आयोजित उत्तर-पूर्व आदान-प्रदान कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किए। 

युवा देश की संपत्ति  
विशेष अतिथि  विधायक डॉ. मिलिंद माने ने कहा कि युवा हमारे देश की संपत्ति हैं। जब तक हमारे देश के युवा सक्षम नहीं होंगे, तब तक देश का विकास संभव नहीं है। आदान-प्रदान कार्यक्रम बहुत ही बढ़िया है। इससे विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों को आदान-प्रदान करने का मौक मिलेगा। कार्यक्रम का आयोजन दादासाहेब कन्नमवार सभागृह, अन्नासाहेब गुंडेवार काॅलेज छावनी काटोल में किया गया। इस अवसर पर मंच पर जिला युवा समन्वयक शरद सालुंखे, अमरावती की जिला युवा समन्वयक ज्योति मोहिते, भंडारा जिला युवा समन्वयक के हितेन्द्र वैद्य, महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ. देवेन्द्र मोहतुरे उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शिवराज कुलकर्णी ने किया।

300 से अधिक युवक-युवती हुए शामिल
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों का आदान-प्रदान करना है। 11 से 16 फरवरी तक आयोजित इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम तथा त्रिपुरा के 300 से अधिक युवक-युवती शामिल हुए हैं। इस दौरान मोटिवेशनल स्पीच के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमाें का भी आयोजन किया जाएगा। इसमें स्वच्छता अभियान से लेकर बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ आदि विषयों के साथ ट्रैफिक अवेयरनेस के बारे में मार्गदर्शन दिया जाएगा।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मोहतुरे ने कहा कि नागपुर ऐसी कर्मभूमि है, जहां युवाओं को काम करने का अवसर मिलता है। साथ ही युवाओं के आचार-विचारों का भी आदान-प्रदान होता है। युवाओं के कंधे पर देश का भार है। उन्हें रचनात्मक कार्य करने चाहिए। 

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