आग लगाकर पत्नी को उतारा था मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारवास की सजा

आग लगाकर पत्नी को उतारा था मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारवास की सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-23 07:26 GMT
आग लगाकर पत्नी को उतारा था मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारवास की सजा

डिजिटल डेस्क कटनी। पैसे मांगने पर मना करने के बाद गुस्साए पति के द्वारा कैरोसिन उड़ेलकर आग के हवाले करते हुए पत्नि को मौत के घाट उतारने के प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए न्यायालय सत्र न्यायाधीश अनिल मोहनिया ने आरोपी पति को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। यह वारदात बड़वारा थाना क्षेत्र के ग्राम भदौरा नंबर 1 मेें रहने वाले जगदीश प्रसाद पिता जगमोहन प्रसाद चौधरी 38 वर्ष के द्वारा कारित की गई थी। जिसने अपनी पत्नि सुनीता चौधरी को घर में पैसे न देने पर दिन मेें 11 बजे आग लगा दी थी। जिससे सुनीता चौधरी की मृत्यु हो गई। अभियोजन के मुताबिक 23 अगस्त 2015 को दिन में 11 बजे नशे के आदि जगदीश प्रसाद चौधरी ने अपनी पत्नि से पैसों की मंाग की। जैसे ही उसने मना किया अभियुक्त ने आपा खोते हुए कैरोसिन उड़ेलकर सुनीता को आग के हवाले कर दिया। आग मेें बुरी तरह जलने के बाद 21 सितंबर को सुनीता चौधरी की इलाज के दौरान मौत हो गई। बड़वारा पुलिस ने मामले की जांच करते हुए आरोपी जगदीश के खिलाफ धारा 302 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर केस डायरी न्यायालय में पेश की। न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय से उपार्पण के पश्चात सत्र न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुआ। सत्र न्यायाधीश अनिल मोहनिया ने प्रकरण में अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य व दस्तावेजों का परिसीलन करने पर अभियुक्त जगदीश प्रसाद चौधरी को धारा 302 भादवि का सिद्ध दोष पाया। सजा के प्रश्न पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अभियुक्त का प्रथम अपराध होने और उसकी संतानों के भरण पोषण का जिम्मा भी अभियुक्त पर होने की बात कहते हुए न्यायालय से कम से कम सजा दिए जाने का आग्रह किया है। जबकि अभियोजन के अधिवक्ता डिप्टी डायरेक्टर विशेष लोक अभियोजक विजय उईके ने मामले को गंभीर प्रकृति का बताते हुए कड़ी से कड़ी सजा से दण्डित करने का निवेदन न्यायालय से किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश अनिल मोहनिया ने प्रकरण की परिस्थिति, अपराध के स्वरूप, अभियुक्त की स्थिति और सजा में पडऩे वाले प्रभाव पर विचार करते हुए धारा 302 भादवि के अंतर्गत आजीवन कारावास एवं 5 हजार रूपए के अर्थदण्ड से दंडित करने का फैसला सुनाया। अर्थदण्ड अदा न करने पर अभियुक्त को 50 दिन का कारावास अतिरिक्त रूप मेंं भुगताए जाने के आदेश भी दिए गए हैं। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजय उइके ने पैरवी की।

 

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