दुराचार का आरोपी निर्दोष बरी , कोर्ट में नहीं हो सकी पहचान सिद्ध

दुराचार का आरोपी निर्दोष बरी , कोर्ट में नहीं हो सकी पहचान सिद्ध

Anita Peddulwar
Update: 2019-12-02 07:58 GMT
दुराचार का आरोपी निर्दोष बरी , कोर्ट में नहीं हो सकी पहचान सिद्ध

डिजिटल डेस्क,नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने पहचान सिद्ध नहीं होने के कारण 10 वर्षीय बालिका से दुराचार के आरोपी को निर्दोष करार दिया है। 4 दिसंबर 2018 को विशेष सत्र न्यायालय ने दीपक ऊर्फ कलवा सोनी (25) शांति नगर को 10 साल की जेल और 10 हजार जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने माना कि सरकारी पक्ष यह सिद्ध नहीं कर पाया कि याचिकाकर्ता ही वही व्यक्ति था, जिसने बालिका के साथ दुराचार किया। मेडिकल रिपोर्ट मेल नहीं खाने और अन्य अहम सबूतों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला लिया। कोर्ट ने इस बात को भी रिकॉर्ड पर लिया कि आरोपी ने अपनी दुकान जलाने के मामले में पीड़िता के पिता को आरोपी बनाया था। सभी पक्षों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि इस प्रकरण में आरोपी को फंसाए जाने की आशंका से इनकार नहीं िकया जा सकता। कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। 

यह था मामला

घटना 5 मार्च 2013 की है। घटना के वक्त पीड़िता क्षेत्र के ही एक स्कूल की पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी। घटना के दिन भी मां ने अपनी बेटी को सुबह स्कूल भेजा था, लेकिन 8 बजे स्कूल के एक शिक्षक ने उनके घर आकर जानकारी दी एक व्यक्ति ने उनकी बेटी के साथ दुराचार किया है। परिजनों के स्कूल पहुंचने के बाद पीड़िता ने उन्हें बताया कि सुबह 6.40 मिनट पर जब स्कूल में कोई नहीं था, तब नकाब पहन कर एक लड़का वहां आया और उसे अपने साथ ले गया। वहां उसका विनयभंग किया और किसी वाहन की आवाज सुनकर भाग गया। मां की शिकायत पर लकड़गंज पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस की पूछताछ में पीड़िता ने कालवा का नाम बताया, जिसके आधार पर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। निचली अदालत ने उसे भादवि 376 (1) (i) और पॉक्सो के तहत दोषी मान कर 10 साल की जेल और 10 हजार रु. जुर्माने की सजा सुनाई थी।

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