एक्ट में हुए बदलाव का असर, रिकॉर्ड से दो वर्ष में गायब हुए 295 कारखाने
एक्ट में हुए बदलाव का असर, रिकॉर्ड से दो वर्ष में गायब हुए 295 कारखाने
डिजिटल डेस्क,नागपुर। अपर संचालक औद्योगिक सुरक्षा व स्वास्थ्य संचालन नागपुर विभाग के रिकॉर्ड से गत दो वर्षों में 295 कारखाने गायब हो गए हैं। एक्ट में हुआ बदलाव इसका मुख्य कारण है। पहले जहां 10 के ऊपर मजदूरों से काम करनेवाली कारखाने का यहां रजिस्ट्रेशन होता था। वहीं, अब 20 के ऊपर काम करनेवाली जगह को ही कारखाना माना जाता है। इससे एक ओर रिकॉर्ड से कारखाने कम होते दिख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संबंधित विभाग का राजस्व भी कम होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा कई कारखानों में मजदूरों की जगह मशीनों के लेने से भी यह कारखाने इंंडस्ट्रियल एक्ट में नहीं बैठ रहे हैं। इससे उपरोक्त विभाग के रिकॉर्ड से गायब होते जा रहे हैं।
यह है प्रक्रिया
नागपुर विभाग अंतर्गत नागपुर के साथ वर्धा, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर, गड़चिरोली में कोई नया कारखाना शुरू करने के लिए नियमानुसार उपरोक्त विभाग अंतर्गत इसका रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है। वहीं प्रति वर्ष इसका नवीनीकरण भी करना पड़ता है। इसके लिए कुछ राशि व्यापारियों को अदा करनी पड़ती है। 3 वर्ष पहले तक यानी 2015 तक कारखाना एक्ट के तहत किसी भी एक जगह 10 से ज्यादा मजदूर मिलकर काम कर रहे हैं, ऐसी जगह को कारखाना कहा जाता था। इनके लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर लाइसेंस उपरोक्त विभाग से लेना जरूरी था। उस वक्त बड़ी संख्या में नागपुर विभाग में कारखानों की संख्या थी, लेकिन यह एक्ट वर्ष 2017 में बदल गया। नए एक्ट में अब 20 से ज्यादा मजदूर काम करने पर ही इसे कारखाना समझा जाएगा। इसके चलते अनेक कारखाने रिकॉर्ड से गायब होते चले गये। स्थिति यह आ गई कि 2 वर्षों में 295 कारखाने रिकार्ड से गायब हो गए।
इस तरह हैं आंकड़े
वर्ष 2017 में नागपुर जिले में ही 1701 कारखाने थे, वहीं अब 1463 कारखाने रह गए हैं। वर्धा में 197 की जगह अब 142 ही रह गए हैं। भंडारा में 135 की जगह 133 कारखाने हैं।
श्रेणी से हटाया
पहले मामूली से मामूली काम के लिए भी व्यक्ति की जरूरत होती थी, लेकिन अब 10 लोगों का काम एक स्मार्ट मशीन करने लगी है। यह भी एक कारण कारखानों को कारखाने की श्रेणी से बाहर कर रहा है।