फिर सवालों में एक्शन हॉस्पिटल, खुले में फेंका जा रहा बॉयो मेडिकल वेस्ट

फिर सवालों में एक्शन हॉस्पिटल, खुले में फेंका जा रहा बॉयो मेडिकल वेस्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-02 08:33 GMT
फिर सवालों में एक्शन हॉस्पिटल, खुले में फेंका जा रहा बॉयो मेडिकल वेस्ट

डिजिटल डेस्क,शहडोल। जिले का एक्शन हॉस्पिटल एक बार फिर सुर्खियों में है। कुछ दिन पहले मरीज के शव को बंधक बनाने का मामला सामने आया था। अब अस्पताल का बॉयो मेडिकल वेस्ट स्कूल परिसर में ही फेंका जा रहा है। यह हास्पिटल स्कूल के बच्चों के लिए भी खतरा साबित हो रहे हैं। 

गौरतलब है कि अस्पताल का बॉयो मेडिकल वेस्ट स्कूल परिसर में फेंकने से स्कूली बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अस्पताल में लगे एयर कंडीशनरों की दूषित हवा भी स्कूल की तरफ मोड़ दी गई है। बॉयो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए भी स्वास्थ्य विभाग ने गाइड लाइन जारी की है। शहडोल संभाग में बॉयो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की कोई व्यवस्था नहीं है। शासकीय अस्पताल एवं अन्य प्राइवेट हॉस्पिटलों का बॉयो मेडिकल वेस्ट सतना में डिस्पोज किया जाता है,लेकिन एक्शन हॉस्पिटल स्कूल परिसर में बॉयो मेडिकल वेस्ट फेंक रहा है। 

स्कूल ने दर्ज कराई थी आपत्ति
टाईम्स पब्लिक उमावि शहडोल के प्राचार्य ने अधिकारियों से शिकायत कर स्कूल के समीप हॉस्पिटल खोलने का विरोध किया था। शिकायत में लेख किया था कि सर्किट हाउस बायपास रीवा रोड के पास उनका विद्यालय संचालित है। भवन मालिक ने भवन के दूसरे हिस्से को एक्शन हॉस्पिटल को किराए पर दे दिया है। विद्यालय में 10 वर्ष से कम उम्र के 400 बच्चे अध्ययन करते हैं। हॉस्पिटल खुलने से विद्यालय परिसर का वातावरण दूषित होगा और अभिभावक भी आपत्ति कर रहे हैं। आवेदन में अनुरोध किया था कि अस्पताल खुलने पर प्रतिबंध लगाया जाए।

हॉस्पिटल खोलने के पहले ही एक प्राइवेट स्कूल के प्राचार्य ने आपत्ति दर्ज कराई थी और कलेक्टर से लेकर CMHO, पर्यावरण विभाग तक शिकायत की थी। स्कूल प्राचार्य की शिकायत को अधिकारियों ने दरकिनार कर दिया। अगर पूर्व में की गई शिकायत पर प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने एक्शन लिया होता तो मरीजों को लूटने से बचाया जा सकता था। हालांकि मरीज की मौत मामले में स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। 

आवेदन ही नहीं मिला
स्कूल प्राचार्य ने एक साल पहले अधिकारियों को आवेदन दिया था। उसके आवेदन पर कार्रवाई तो दूर अधिकारियों ने जांच कराने की भी आवश्यकता नहीं समझी। अब तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी ऐसे किसी आवेदन पर अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं। CMHO का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी आवेदन की जानकारी नहीं है। यदि कार्यालय में पूर्व में आवेदन दिया गया है तो उसे दिखवाते हैं। 

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