शिमला: लोगों के सुझावों व आपत्तियों के बाद नई नगर निगमों व नगर पंचायतें बनाने का फैसला

शिमला: लोगों के सुझावों व आपत्तियों के बाद नई नगर निगमों व नगर पंचायतें बनाने का फैसला

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-10-29 08:28 GMT
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डिजिटल डेस्क, शिमला। लोगों के सुझावों व आपत्तियों के बाद नई नगर निगमों व नगर पंचायतें बनाने का फैसला सचिव, शहरी विकास विभाग रजनीश ने आज यहां बताया कि शहरी विकास की बढ़ती गति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मण्डी, सोलन व पालमपुर का विस्तार करने के उपरान्त इन्हें स्तरोन्नत कर नगर निगम का दर्जा प्रदान करने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में छः नई नगर पंचायतें सृजित करने तथा नगर परिषद नेरचैक, करसोग व ज्वाली के कुछ क्षेत्रों का पुनर्गठन किया है। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रस्तावों पर संबंधित क्षेत्रों के लोगों से सुझाव व आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं। शहरी विकास विभाग के सचिव ने जनता द्वारा दायर की गई आपत्तियों पर संबंधित उपायुक्तों से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी, जिनको उपायुक्तों ने पूर्णतया परीक्षण के उपरान्त सरकार को रिपोर्ट भेजी। जनता की आपत्तियों व उपायुक्तों की रिपोर्ट पर विचार के बाद सरकार ने यह निर्णय लिया है। रजनीश ने कहा कि इन सभी क्षेत्रों को शहरी निकायों में सम्मिलित करने की अधिसूचना शीघ्र जारी की जाएगी। अधिसूचना के उपरान्त इन सभी नगरपालिकाओं में वार्ड आदि बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा ताकि इन सभी संस्थाओं के निर्वाचन भी प्रदेश के अन्य शहरी निकायों के साथ ही उनके कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व करवाए जा सकें। प्रदेश सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन क्षेत्रों में नई नगरपालिकाएं अस्तित्व में आई हैं अथवा जिन क्षेत्रों को नगर परिषदों व नगर पंचायतों में शामिल किया गया है उनके निवासियों को तीन वर्ष तक कोई भूमि एवं सम्पत्ति कर नहीं देना होगा। इसके अतिरिक्त इन क्षेत्रों के वाजिब-उल-अर्ज में दिए गए अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे। पहले कर माफी दो वर्षों के लिए की जाती थी लेकिन इस बार सरकार ने जनता को तीन वर्षों तक यह सुविधा देने का निर्णय लिया है। सचिव ने कहा कि नगर निगम मण्डी में चार पंचायतें नेला, बैहना, संगराड़ व दौंधी को पूर्ण रूप से जबकि सात पंचायतों चलाह, भढयार, भरौण, तुंग, बिजन, बारी व तलेहड़ को आंशिक रूप से शामिल किया गया है। नगर निगम का दर्जा प्राप्त करने के बाद नगर परिषद मण्डी की जनसंख्या 26,431 से बढ़कर 41,384 हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सोलन नगर निगम में आठ पंचायतों को आंशिक रूप से शामिल किया गया है, जिनमें शामती, कोठों, पडग, सलोगड़ा, सपरून, आंजी, सेरी और बसाल शामिल हैं। इस प्रकार सोलन नगर परिषद की आबादी नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद 39,256 से बढ़कर 47,418 हो जाएगी। इसी प्रकार, नगर निगम पालमपुर में 12 पंचायतें आयमा, चैकी, बिन्दरावन, कैयारकड़, खलेट, घुग्गर, राजपुर, टांडा, बनूरीखास, मुहाल बनुरी, होल्टा व बन्धियार पूर्ण रूप से जबकि दो पंचायतें बन्दला व लोना आंशिक रूप से शामिल की गई हैं। नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद नगर परिषद पालमपुर की जनसंख्या 40,385 हो जाएगी। रजनीश ने कहा कि जिला ऊना में ग्राम पंचायत अम्ब और कुल्लू जिला में ग्राम पंचायत निरमण्ड को नगर पंचायत बनाया गया है। नगर पंचायत आनी में पांच पंचायतों बखनोह, आनी, कुंगश, नमहोेंग व कराणा के क्षेत्रों को आंशिक रूप से शामिल किया गया है। इन पांचों पंचायतों की 2205 जनसंख्या को नगर पंचायत आनी में सम्मिलित किया गया है। शिमला जिला में नगर पंचायत चिड़गांव में चिड़गांव व सुन्दा-भोंडा पंचायतों के क्षेत्रों को आंशिक रूप से शामिल किया गया है। इस नगर पंचायत में इन पंचायतों के 3378 लोगों को शामिल किया गया है। नगर पंचायत नेरवा में नेरवा पंचायत के क्षेत्र को आंशिक रूप से सम्मिलित किया गया है और इस नगर पंचायत की जनसंख्या 2216 होगी। जिला सोलन की ग्राम पंचायत कवारग और सिरीनगर के क्षेत्रों को आंशिक रूप से समायोजित कर नई नगर पंचायत कंडाघाट सृजित की गई है, जिसकी कुल जनसंख्या 2668 होगी। इसके अतिरिक्त, जो तीन नगरपालिकाएं पुनर्गठित की गई हैं उनमें जिला मण्डी की नगर परिषद नेरचैक से 7777 जनसंख्या वाले क्षेत्र को नगरपालिका क्षेत्र से निकाला गया है तथा पुनर्गठन के बाद नेरचैक की जनसंख्या 8528 रह जाएगी। नगर पंचायत करसोग में से भी 770 लोगों को नगरपालिका क्षेत्र से निकाला गया है और 152 लोगों को शामिल किया गया है। इस प्रकार पुनर्गठन के बाद करसोग नगर पंचायत की जनसंख्या 2008 रह जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा की नगर पंचायत ज्वाली से भी 3436 जनसंख्या वाले क्षेत्र को निकाला गया है और पुनर्गठन के बाद ज्वाली की जनसंख्या 7342 रह जाएगी।

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