कृषि क्रांति : 100 गांवों में होगी पर्यावरण पूरक खेती

कृषि क्रांति : 100 गांवों में होगी पर्यावरण पूरक खेती

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-25 08:53 GMT
कृषि क्रांति : 100 गांवों में होगी पर्यावरण पूरक खेती

डिजिटल डेस्क, वर्धा। विदर्भ व मराठवाड़ा के वातावरण में बदलाव वाले अतिसंवेदनशील 4 हजार 210 गांव और विदर्भ के पूर्णा नदी के तट पर बसे 932 गांवों में छह वर्ष की अवधि में विश्व बैंक की आर्थिक सहायता से चार हजार करोड़ की लागत के नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प चलाया जा रहा है। इस योजना में जिले के 110 गांवों में पर्यावरणपूरक खेती की जाएगी। इसके लिए पहले चरण में 39 गांवों का चयन किया गया है। इस प्रकल्प के माध्यम से इन गांवों में वातावरण में होने वाले बदलाव के अनुकूल खेती पद्धति विकसित की जा रही है। प्रकल्प अंतर्गत चुने गए गांवों में चरण-चरण से योजना चलाई जाएगी। गांवों का सूक्ष्म नियोजन प्रारूप तैयार कर प्रकल्प पर अमल करना शुरू किया गया है।

इस प्रकल्प के अंतर्गत चुने गए गांवों में कुएं खोदना, फलबाग लगाना, शेडनेट, मोटरपंप, डीजलपंप, अत्याधुनिक खेती पद्धति सहित विविध बातों पर अमल करने के लिए वर्ष 2019-20 में पहले चरण में 100 करोड़ की निधि उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही इन में से वर्धा जिले को 2 करोड़ 39 लाख रुपए की निधि प्राप्त हुई है। उपलब्ध निधि से विश्व बैंक के 70  फीसदी तथा राज्य के हिस्से की 30 फीसदी निधि वितरित की गई है। यह प्रकल्प वातावरण अनुकुल कृषि प्रकल्प होकर छोटे किसानों को व खेत मजदूरों को इस योजना का लाभ मिलेगा। नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प योजना में जिले के 39 गांवों का पहले चरण के लिए चयन किया गया है। इसके लिए सभी किसानों की ओर से आवेदन स्वीकारे गए हैं। इस कारण जिला कृषि कार्यालय में कुल 2 हजार 884  किसानों के आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें अत्यल्प, अल्प, मध्यम व बहुभूधारक किसान शामिल हैं। सरकारी निर्णय के अनुसार दो हेक्टेयर तक खेत वाले किसानों को ही इस योजना का लाभ दिया जा रहा है।

2 हजार 884  किसानों के आवेदन प्राप्त 
नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना में जिले के 39 गांवों काे पहले चरण में तथा 71 गांवों काे दूसरे चरण में शामिल किया गया है। इसके लिए जिले से करीब 2 हजार 884 किसानों के आवेदन प्राप्त हुए हैं। ऐसा होने पर भी अल्पभूधारक किसानों को ही इस योजना का लाभ दिऐ जाने से 265 आवेदनों को पूर्णसहमति दी गयी है।
- डॉ. विद्या मानकर, अधीक्षक, जिला कृषि अधिकारी, वर्धा

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