अम्बिकापुर : सुपोषण अभियान से 5 हजार से अधिक बच्चे हुए सेहतमंद : कुपोषण में आई 7 प्रतिशत की कमी

अम्बिकापुर : सुपोषण अभियान से 5 हजार से अधिक बच्चे हुए सेहतमंद : कुपोषण में आई 7 प्रतिशत की कमी

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-11-28 09:32 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, अम्बिकापुर। स्वस्थ भविष्य के संकल्पना को साकार करने के लिए संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों में सकारात्मक परिणाम आये हैं। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के 5 हजार 756 बच्चे कुपोषण से बाहर निकलकर सेहतमंद हुए और एक वर्ष में ही कुपोषण में 7.32 प्रतिशत की कमी आई है। आंगनबाड़ी केंद्र के करीब 86 हजार बच्चों में से 18 हजार 340 बच्चे कुपोषित थे तथा कुपोषण का प्रतिशत 21.78 था। सुपोषण अभियान के एक वर्ष बाद कुपोषित बच्चो की संख्या 12 हजार 584 तथा कुपोषण का प्रतिशत घटकटर 14.46 प्रतिशत हो गया है। 2 अक्टूबर 2019 से शुरु हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी के कुपोषित बच्चो को सप्ताह में एक दिन तथा गंभीर कुपोषित बच्चों को सप्ताह में दो दिन उबला हुआ अण्डा तथा मूँगफली के लड्डू दिया जा रहा है। जो बच्चे अंडा नही खाते उन्हें तेल में भुना हुआ सोया बड़ी दिया जा रहा है। योजना का वित्तपोषण जिला खनिज संस्थान न्यास से तथा संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिला प्रशासन की निगरानी में किया जा रहा है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा कृमि नाशक दवा तथा विटामिन ‘‘ए’’ का सीरप उपलब्ध कराया गया है जिसे एक निश्चित अंतराल पर दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों का हर माह वजन लेकर शारीरिक विकास पर नजर रखती है तथा बच्चो के माता -पिता को कुपोषण के दुष्प्रभाव और इससे दूर करने की जानकारी भी देते हैं। कोरोना संकट काल मे आंगनबाड़ी बन्द होने के बावजूद यह अभियान अनवरत जारी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सूखा राशन और अंडा बच्चों के घर घर पंहुंचा रही हैं ताकि बच्चो को पौष्टिक आहार मिलती रहे। सुपोषण अभियान की मॉनीटिरिंग के लिए सभी जिला अधिकारियों को दायित्व सौंपा गया है। जिला अधिकारी आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण कर बच्चों को समय पर अंडा खिलाने की जानकारी लेते है जहां लापरवाही होती है वहां के कार्यकर्ता पर तत्काल कार्यवाही की जाती है। इस अभियान के शुरू होने से बच्चों के सेहत में सुधार आने के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति में भी वृद्धि हुई है।

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