अवमानना में स्पष्टीकरण के लिए बुलाए जाने के खिलाफ अपील प्रचलनशील नहीं

अवमानना में स्पष्टीकरण के लिए बुलाए जाने के खिलाफ अपील प्रचलनशील नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-31 09:29 GMT
अवमानना में स्पष्टीकरण के लिए बुलाए जाने के खिलाफ अपील प्रचलनशील नहीं

हाईकोर्ट में रक्षा सचिव और अन्य को बुलाए जाने के खिलाफ दायर अपील खारिज
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मप्र हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अवमानना मामले में गुण-दोष के आधार पर दिए गए आदेश के खिलाफ अपील का प्रावधान है, लेकिन अवमानना मामले में संबंधित अधिकारियों को स्पष्टीकरण के लिए बुलाए जाने के खिलाफ अपील प्रचलनशील नहीं है। इस अभिमत के साथ एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस बीके श्रीवास्तव की डिवीजन बैंच ने स्टेशन हेड क्वार्टर जबलपुर की ओर से दायर अपील खारिज कर दी है। यह अपील हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा 18 अगस्त 2020 को जारी उस आदेश के खिलाफ की गई थी, जिसमें रक्षा मंत्रालय के सचिव अजय सिंह, ब्रिगेडियर वीके सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल रणदीप सिंह स्टेशन हेड क्वार्टर सुखलालपुर जबलपुर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था।
यह है मामला -  पोलीपाथर जबलपुर निवासी केवल कुमार जग्गी एवं उनके परिजनों की डुमना के समीप स्थित 50 एकड़ जमीन वर्ष 2012 में सेना ने अपने कब्जे में ले ली थी। उन्होंने जमीन का मुआवजा दिलाने की माँग को लेकर वर्ष 2015 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की।  हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 अगस्त 2017 को आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं को 6 माह के भीतर मुआवजा का निर्धारण कर भुगतान किया जाए। 
तीसरी बार दायर की गई अवमानना याचिका 
 अधिवक्ता मनोज शर्मा ने बताया कि आदेश का पालन नहीं होने पर 28 मार्च 2018 को पहली अवमानना याचिका दायर की गई, जिसमें हाईकोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए 6 माह का समय और दे दिया। जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो दूसरी अवमानना याचिका 23 अक्टूबर 2018 को दायर की गई। सेना की ओर से बताया गया कि इस मामले में 27 सितंबर 2019 को कलेक्टर जबलपुर द्वारा मुआवजे का अवार्ड पारित किया जा चुका है। मुआवजा वितरण के लिए प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा गया है, इसके लिए हाईकोर्ट से तीन माह के समय की माँग की गई, लेकिन तय समय में आदेश का पालन नहीं किया गया। इसके बाद 2 मार्च 2020 को तीसरी अवमानना याचिका दायर की गई, जिसमें 18 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने रक्षा मंत्रालय के सचिव और अन्य अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ दायर अपील डिवीजन बैंच ने खारिज कर दी है।    
 

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