फरीद वाटिका में कबूल होती है हर बंदे की फरियाद
फरीद वाटिका में कबूल होती है हर बंदे की फरियाद
डिजिटल डेस्क, पांढुर्ना। तहसील के बड़चिचोली में मौजूद बरगद के पेड़ों का समूह से भरा परिसर आस्था का प्रतीक है। बरगद के पेड़ों से घिरे होने के चलते वट वाटिका और बाबा फरीद की रहमत के चलते फरीद वाटिका कहलाई जाने वाली इस ऐतिहासिक धरोहर का अनूठा इतिहास है।
बड़चिचोली में मौजूद इस वट वाटिका के दीदार करने छिंदवाड़ा जिले के अलावा नागपुर, भोपाल और कई जगहों से हजारों अकीदतमंद, यहां पहुंचकर बाबा फरीद की दरगाह पर सिर झुकाते है। यह वाटिका सांप्रदायिक एकता की अनूठी मिसाल भी है। यहां मौजूद बाबा फरीद की दरगाह पर सिर झुकाकर जहां हर बंदे की फरियाद पूरी होती है, साथ ही वट वाटिका का सौंदर्य हर किसी को प्रफुल्लित कर अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की विरासतें किसी कल्पना से कम नहीं हैं।
खींच लाता है बरगद के पेड़ों का झुंड
फरीद वाटिका में मौजूद बरगद के पेड़ों की बात ही निराली है। बरगद के पेड़ों से घिरा होने के कारण यह परिसर वट वाटिका कहलाता है। नेशनल हाईवे से गुजरने वाले वाटिका के खूबसूरती को देख यहां खींचे चले आते है। स्थानीय लोग बताते है कि यहां के सभी पेड़ एक-दूसरे से जुड़े है। बरगद के पेड़ की शाखा के जमीन को छूते ही नया पेड़ तैयार हो जाता है। वट वाटिका के बरगद के पेडों की भी अनूठी कहानी है।
सुलझ नहीं पाता बावड़ी का रहस्य
वट वाटिका में जहां बाबा फरीद की अकीदत के साथ-साथ, यहां के शांति भरे माहौल से गहरा सुकून मिलता है। ऐतिहासिक धरोहर के रूप में यहां मौजूद बरगद के पेड़, बाबा फरीद की दरगाह के साथ यहां मौजूद बावड़ी का अपना अलग रहस्य है। यहां जाने वाले बावड़ी की बनावट को देख अचंभित रह जाते है। हरियाली से भरा वट वाटिका का सौंदर्य, हर किसी को प्रफुल्लित कर अपनी ओर आकर्षित करता है। यह आस्था का केन्द्र भी है। यहां सुकून भरा माहौल आकर्षित करता है।