बीमा राशि में विलंब किया तो बैंक अफसरों को देना होगा हर्जाना, उपभोक्ता फोरम का फैसला

बीमा राशि में विलंब किया तो बैंक अफसरों को देना होगा हर्जाना, उपभोक्ता फोरम का फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-14 07:42 GMT
बीमा राशि में विलंब किया तो बैंक अफसरों को देना होगा हर्जाना, उपभोक्ता फोरम का फैसला

डिजिटल डेस्क, कटनी। फसल बीमा राशि में विलंब करने पर अब समिति, प्रबंधक, महाप्रबंधक और बीमा कंपनी अब पीड़ित किसानों को हर्जाना अदा करेगी। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम कटनी के अध्यक्ष बी.एल. वर्मा और सदस्य इंद्रजीत सिंह गौतम ने किसानों के हित में फैसला सुनाते हुए राशि चुकाने के आदेश पारित किए हैं। मामला वर्ष 2013-14 के रीठी तहसील अंतर्गत बडगांव के नौ किसानों का है। यहां पर किसान क्रेडिट कार्ड में नगद और खाद-बीज के लिए ऋण लेने पर किसानों से फसल बीमा की प्रीमियम राशि समिति ने काटी थी, लेकिन बीमा राशि चुकाने में लेट-लतीफी बरती गई। जनपद और जिला स्तर पर जब अधिकारियों ने शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं की, तो किसानों ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली।

इन किसानों को मिला न्याय
यहां के नौ किसानों को न्याय मिला है, जिसमें विलंब और वाद-व्यय के रुप में इन्हें राशि मिलेगी। श्रीमति आशा रानी जैन को विलंब के लिए 3000 और वाद व्यय के रुप में अलग से 2000 रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। इसी तरह से सुखदेव प्रसाद को कुल 5000, अरविंद कुमार जैन को 5000, दिनेश जैन को 7000, सुमेर चंद जैन को 6000, कैलाश चंद जैन को 7000, कनच्छेदी को 7000, रामदास साहू को 7000 और अभय कुमार जैन को 6000 रुपए का भुगतान करना होगा।

चार लोगों को बनाया पक्षकार
इस मामले में न्यायालय ने चार लोगों को पक्षकार बनाया है। इसमें प्राथमिक कृषि सहकारी समिति बडगांव के साथ सहकारी बैंक रीठी शामिल हैं। इसके साथ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के महाप्रबंधक (जबलपुर) और इंडियन एग्रीकल्चर इंश्योरेंस एमपी नगर भोपाल को प्रतिवादी बनाया गया है।

सूखे के बाद भी लेट-लतीफी
प्राथमिक कृषि सहकारी समिति बडगांव से सैकड़ों किसान खरीफ के समय ऋण लिए हुए थे। उस वर्ष यहां पर सूखा पड़ गया। तहसील रीठी के अनवारी रिपोर्ट में भी बडगांव को सूखा ग्रस्ति किया गया था। इसके बावजूद किसानों को फसल बीमा का मुआवजा नहीं मिल पा रहा था। सबसे बड़ी लापरवाही समिति द्वारा की गई थी। जिसने तो ऋण में ही प्रत्येक किसान से एक-एक हजार रुपए की राशि प्रीमियम के रुप में कटौती की। पर उन्हें रसीद नहीं दी गई थी। पासबुक में न्ट्री के आधार पर किसानों को उनका हक मिल सका।

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