युवाओं के लिए बेहतर करियर ऑप्शन है एयरोमॉडलिंग, एडवेंचर स्पोर्ट की डिमांड
युवाओं के लिए बेहतर करियर ऑप्शन है एयरोमॉडलिंग, एडवेंचर स्पोर्ट की डिमांड
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आजकल के युवाओं में अपने करियर को लेकर काफी असमंजस बना रहता है। युवा कुछ ऐसा करियर अपनाना चाहते है जो कुछ हटकर हो। हम बता दें एयरोमॉडलिंग भी करियर ऑप्शन है। नागपुर में इसे लेकर युवाओं में काफी उत्साह है। भले ही एयरोमॉडलिंग की ट्रेनिंग देने और लेने वालों की संख्या कम है, लेकिन इसे उपयोग में लाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। कुछ लोग एयरोनॉटिकल बेसिक्स और कॉन्सेप्ट क्लियर करने के लिए एयरोमॉडलिंग कर रहे हैं। इसे एक स्पोर्ट हॉबी की तरह देखा जा रहा है। हाल ही में NCC कैडैट्स के ट्रेनर धनविजय दामले ने बताया कि महाराष्ट्र एयर स्कवार्डन लीडर, एनसीसी, वायुसेना नगर में ऑल इंडिया वायुसेना कैंप 2017 में ऐसे ही कैंप का आयोजन हुआ। कैंप में कैडेट नीलेश बोधे, कैडेट शुभम, कैडेट पवन बोर्डे, स्टेटिक एयरोमॉडलिंग कैडेट रिषभ वर्मा, कैडेट सतबीर सिंह ने एयरोमॉडलिंग की।
बढ़ रहा इंटरेस्ट
इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स के अलावा अन्य बच्चे भी एयरोमॉडलिंग सीखना चाहते हैं। वे समर वैकेशन में इसके लिए रुचि ले रहे हैं। हॉबी के रूप में इसे सीखने वाले बेशक कम हैं, लेकिन अब करियर ऑप्शन के तौर पर इसे अपनाने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। फ्लॉवर शॉवरिंग के अलावा इसे फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी, कॉम्पिटीशन या टीचिंग पर्पस से अपनाया जाने लगा है।
सीखना महंगा है
असल एयरक्रॉफ्ट की ही नकल बनने वाले इन मॉडल्स को बनाना और संभालना महंगा सौदा है। करीब 25 हजार से 2 लाख रुपए तक के ये मॉडल्स बेहद नाजुक होते हैं। जरा सी असावधानी से बड़ा नुकसान हो जाता है। बात अगर ट्रेनिंग की करें, तो 3 माह की बेसिक ट्रेनिंग की फीस करीब 20 से 30 हजार रुपए है। इसके कलपुर्जे भी यूएस से मंगवाने पड़ते हैं। ये मॉडल्स असल एयरक्रॉफ्ट की नकल होते हैं। इनमें हेलिकॉप्टर, प्लेन, जेट प्लेन और कॉर्डकॉफ्टर को प्रमुखता से सीखा जाता है। फास्ट स्पीड पसंद करने वाले जेट प्लेन फ्लाइंग की ट्रेनिंग लेते हैं और फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए कॉर्डकॉफ्टर का उपयोग किया जाता है। इन एयरक्रॉफ्ट के लिए हेलिकॉप्टर के मॉडल का उपयोग होता है।
हॉबी है एयरोमॉडलिंग
एयरोमॉडलिंग एक हॉबी है। इसमें छोटे और खासकर हाथ से बने प्लेन (जिसको टॉय प्लेन भी कहते हैं) को हवा में गैस, बैट्री और एयरोक्रॉफ्ट फ्यूल से 200 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ा सकते हैं। इसे रिमोट कंट्रोल और ट्रांसमीटर के जरिए कंट्रोल किया जाता है। यह प्लेन एक बार उड़ान भरने के बाद करीब 10 से लेकर 15 मिनट तक हवा में कलाबाजी करता है। इसको एक किलोमीटर के रेडियस में भी उड़ाया जाता है। यह बहुत ही रोमांचक होता है।
एयरोमॉडलिंग का सबसे ज्यादा फायदा बच्चों को होता है। प्रशिक्षक राजेश जोशी के मुताबिक बच्चे टॉय प्लेन को हवा में उड़ाते हैं। जो बड़े प्लेन की तरह स्टेट हैंगर में होता है। इससे बच्चों का एयरविंग में इंट्रेस्ट बढ़ता है। बच्चे इसी बहाने एयरपोर्ट और स्टेट हैंगर पर आते हैं। वह प्लेन को करीब से देखते और जानते हैं। इससे उनका इंट्रेस्ट इस फील्ड में बढ़ता है।