इंजेक्शन व ऑक्सीजन के बाद कोरोना की दवाओं की भी कालाबाजारी

इंजेक्शन व ऑक्सीजन के बाद कोरोना की दवाओं की भी कालाबाजारी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-20 17:23 GMT
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डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना वायरस के इलाज में इंजेक्शनों के साथ कुछ दवाएँ भी कारगर बताई गई हैं। उपचार में जो दवाएँ मरीजों को राहत पहुँचा रहीं हैं, वे बाजार से गायब हो रहीं हैं। इनकी कालाबाजारी शुरू हो गई है, िजतनी कीमत निर्धारित है, उससे कई गुना तक ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं। कोरोना में गले से लेकर छाती तक आराम देने वाली इन दवाओं में कुछ लोगों ने मुनाफाखोरी शुरू कर दी है। कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए जिस तरह रेमडेसिविर इंजेक्शन कारगर साबित रहता है, ठीक वैसे ही कोरोना के शुरूआती लक्षण में फेबि फ्लू टेबलेट फेफड़ों के संक्रमण की रोकथाम के लिए सबसे उपयोगी दवा है, लेकिन रविवार से ये दवा अचानक बाजार से गायब हो गई। जिसकी तलाश में लोग पूरे शहर की दवा दुकानों के चक्कर काटते रहे। आलम ये रहा कि 200 से 800 एमजी की फेबि फ्लू प्रति 10 टेबलेट िजसका एमआरपी रेट 1250 से 1400 रुपए है, उसे लोगों ने 3 से 4 हजार रुपए में खरीदा।
कुछ दवा विक्रेताओं ने दावा किया था कि मंगलवार की शाम तक पर्याप्त मात्रा में फेबि फ्लू पुन: मिलने लगेगी, लेकिन पीडि़तों को कोई राहत नहीं मिली और स्थिति जस की तस बनी रही। सूत्रों के अनुसार कुछ लोगों ने फेबि फ्लू समेत कोरोना से जुड़ी अन्य जरूरी दवाओं का कुछ स्टोरी संचालकों ने गैरजरूरी स्टॉक कर लिया है और दलालों के माध्यम से इन्हें मनमानी कीमतों पर बेचा जा रहा है। इसमें दवा दुकान में काम करने वाले कई युवक व युवतियाँ भी शामिल हैं। इस मामले में स्वास्थ्य िवभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों तक कई शिकायतें भी पहुँचीं, लेकिन उचित कार्रवाई की जगह अफसर चुप्पी साधे रहे। वहीं सीएमएचओ रत्नेश कुररिया का कहना है कि शिकायत आने पर जांच व उचित कार्रवाई की जाएगी।

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