मराठा आरक्षण का मामला गर्माते ही सामने आया हलबा, धनगर का मामला

मराठा आरक्षण का मामला गर्माते ही सामने आया हलबा, धनगर का मामला

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-27 10:42 GMT
मराठा आरक्षण का मामला गर्माते ही सामने आया हलबा, धनगर का मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनावी रणनीति के तहत राज्य में राजनीति गर्माने लगी है। मराठा आरक्षण का मामला सबसे हिट है। ऐसे में हलबा व धनगर आरक्षण के मुद्दे को भी हवा मिलने लगी है। राजनीतिक दलों के वोटों के गणित को प्रभावित करने में हलबा , धनगर फैक्टर काफी मायने रख सकते हैं। लिहाजा इन मामलों पर सत्ताधारी भाजपा के जनप्रतिनिधि ही अागे आकर सक्रिय भूमिका निभाने लगे हैं। खास बात है कि हलबा, धनगर आरक्षण की मांग को नये सिरे से आगे बढ़ाने का केंद्र नागपुर बन रहा है। 

हलबा को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह के साथ बैठक
हलबा आरक्षण के मामले को लेकर भाजपा नेताओं के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह से मुलाकात की। भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी के साथ हलबा नेता व मध्य नागपुर के विधायक विकास कुंभारे, भाजपा के शहर अध्यक्ष सुधाकर देशमुख, विधानपरिषद सदस्य गिरीश व्यास शिष्टमंडल में शामिल थे। बुधवार को हुई बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री से हलबा मामले पर त्वरित निर्णय लेने का निवेदन किया गया।

निवेदन किया गया है कि अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षित कोटे से सरकारी नौकरी में लगे कर्मचारियों व अधिकारियों को संरक्षण दिया जाए। विशेष प्रवर्ग के तहत उनकी नौकरी कायम रखी जाए। इस मामले को लेकर राजनाथसिंह की उपस्थिति में 15 दिन बाद और बैठक होने वाली है। 

धनगर पर बोले भाजपा के राज्यसभा सदस्य
राज्य में धनगर आरक्षण के मामले को लेकर आंदोलक की भूमिका में रहे डॉ. विकास महात्मे भाजपा से राज्यसभा सदस्य बनने के बाद इस मुद्दे पर पहले से कम बोलने लगे थे। वे संसद व संसद के बाहर आरक्षण के मामले पर नई थ्यौरी लेकर घूम रहे थे। उनका कहना था कि आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा होना चाहिए। आरक्षित वर्गों में भी यह तय होना चाहिए कि सबसे पहले किसे आरक्षण की आवश्यकता है। गुरुवार को डॉ.महात्में ने धनगर आरक्षण का मामला राज्यसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि धनगरों को अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण लाभ मिलना चाहिए। केवल धनगर को धनगड़ लिख देने मात्र से समाज आरक्षण से वंचित हैं।

क्या है हलबा आरक्षण का मामला
हलबा समाज को आदिवासी समुदाय मानकर अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण का लाभ दिया गया। अनुसूचित जाति वर्ग के लाभार्थी के तौर पर हलबा समाज के अधिकारी, कर्मचारी सरकारी नौकरी में लगे। लेकिन बाद में हलबा समाज को गैर-आदिवासी ठहराया गया। कई अधिकारी, कर्मचारी की नौकरी संकट में आ गई। नागपुर मनपा से हलबा समाज के महापौर समेत दर्जन भर से अधिक नगरसेवकों को जाति वैद्यता प्रमाण पत्र के अभाव में पद छोड़ना पड़ा।

हलबा समाज के नेताओं का कहना है कि हलबा मूलत: आदिवासी है। कोष्टी समाज के बुनकर व्यवसाय को अपनाने के कारण हलबा कोष्टी को हिंदू धर्म व व्यवसाय के मानक के अनुरुप अनुसूचित जाति आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाने लगा। हलबा समाज को आदिवासी मानने को लेकर न्यायालयों से कई निर्णय हुए हैं। राज्य सरकार ने कमेटियां बनायी, कई बार आंदोलन हुए, लेकिन मामले का निपटारा नहीं हो पाया है। राज्य में मूल आदिवासियों के अधिकार पर आघात पहुंचाने के मामले से संबंधित याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने निर्णय सुनाया है। जिसके तहत सरकार को आदिवासियों के अधिकार का संरक्षण करने को कहा है। राज्य में बोगस आदिवासी के तौर पर सरकारी नौकरी पाने वालों में 11,770 लोगों का समावेश है। बताया जा रहा है कि 33 गैरआदिवासी जातियों ने आदिवासी वर्ग के आरक्षण का लाभ लिया। 

क्या है धनगर आरक्षण का मामला
धनगर समाज भेड़ , बकरी चराने के काम से जुड़ा रहा है। समाज की आर्थिक,सामाजिक व राजनीतिक स्थिति को लेकर सवाल उठते रहे हैं। धनगर आरक्षण की मांग के साथ राजनीतिक दल बनाने वाले महादेव जानकर फिलहाल फडणवीस सरकार में पशु संवर्धन मंत्री हैं। पद्मश्री उपाधि प्राप्त डॉ.विकास महात्मे को भाजपा ने राज्यसभा सदस्य बनवाया है। सरकार की ओर से हाल ही में विधानमंडल के मानसून सत्र में जवाब दिया गया है कि जल्द ही यह मामला निपट जाएगा।

धनगर आरक्षण के लिए टाटा इंस्टीट्यूट के माध्यम से अध्यययन कार्य किया जा रहा है। 5 राज्यों में धनगर की स्थिति का अध्ययन करने के बाद जो रिपोर्ट आएगी,उसे न्यायालय में रखकर धनगरों को आरक्षण लाभ दिलाया जाएगा। भाजपा यह भी कहती है कि पहले सत्ता संभालते रहे कांग्रेस व राकांपा के लोग जानबूझकर धनगर आरक्षण के मामले काे उलझाए रखें। 

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