नई पीढ़ी की बदल रही मानसिकता, अब ज्ञान और सेवाभाव का सत्कार

नई पीढ़ी की बदल रही मानसिकता, अब ज्ञान और सेवाभाव का सत्कार

Tejinder Singh
Update: 2019-10-07 13:03 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। ज्ञान का जन्म कहीं भी हो सकता है, इसके लिए पोषक वातावरण होना आवश्यक है। यहां किसी का स्त्री का सत्कार नहीं, बल्कि ज्ञान, प्रज्ञान और सेवाभाव का सत्कार है। नई पीढ़ी की मानसिकता बदल रही है। यह बात वरिष्ठ पत्रकार सुरेश द्वादशीवार ने कही। अवसर यशवंतराव चव्हाण विभागीय केंद्र की ओर से ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कार्यक्रम में 1 करोड़ रुपए की इनाम राशि जीतने वाली बबीता सुभाष ताडे के सम्मान समारोह का था। कार्यक्रम का आयोजन श्रीमंत बाबूराव धनवटे सभागृह में आयोजित किया गया। मंच पर कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के कुलपति अध्यक्ष डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा, दत्ता मेघे ग्रुप ऑफ स्कूल की संचालिका आभा मेघे, यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डा. गिरीश गांधी, सत्कार मूर्ति बबीता सुभाष ताडे उपस्थित थे। बबीता ताडे का सम्मान अतिथियों द्वारा शॉल-श्रीफल व पुष्पगुच्छ देकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लीना निकम ने किया।

सावित्री पुत्री का सत्कार

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. मिश्रा ने कहा कि यह सत्कार देश की आधुनिक सावित्री पुत्री का है। यह सत्कार उपेक्षाओं की मुक्ति का सत्कार है। उन्होंने बबीता ताडे का अभिनंदन किया और भविष्य में आगे बढ़ने की कामना की। प्रमुख अतिथि आभा मेघे ने नवरात्रि के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में देवी के नौ रूपों का वर्णन करते हुए कहा कि अगर महिला मन में कुछ करने की ठान लें तो वह असफल नहीं हो सकती। बबीता के साथ ही उनके पति सुभाष का भी अभिनंदन किया जिन्होंने निरंतर बबीता को आगे बढ़ने में मदद की।

400 बच्चों की खुशी मेरे लिए महत्वपूर्ण है

मिड डे मील बनाकर 1500 रुपए कमाने वाली खिचड़ी काकू' ने न सिर्फ अपने ख्वाबों को पूरा किया है, बल्कि यह साबित कर दिया है कि अगर जज्बा अौर इच्छाशक्ति हो तो कोई भी काम असंभव नहीं है। उन्होंने सवालों के बड़े सुलझे हुए जवाब दिए। बबीता ताडे ने एक करोड़ रुपए जीते हैं। अपना मनोगत व्यक्त करते हुए बबीता ताडे ने जीवन के संघर्षों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मैं 1 करोड़ रुपए जीत गई हूं, लेकिन अभी भी में बच्चों के लिए खिचड़ी बनाऊंगी। मेरे लिए 1 करोड़ रुपए से ज्यादा 400 बच्चों की खुशी मेरे लिए महत्वपूर्ण है। 

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