चौकसे ने कहा - लोक कलाकारों को पुरस्कार नहीं समय पर मानधन जरूरी

रामटेक  चौकसे ने कहा - लोक कलाकारों को पुरस्कार नहीं समय पर मानधन जरूरी

Tejinder Singh
Update: 2022-09-15 13:38 GMT
चौकसे ने कहा - लोक कलाकारों को पुरस्कार नहीं समय पर मानधन जरूरी

डिजिटल डेस्क, रामटेक। लुप्त होती जा रही हमारी सांस्कृतिक व परंपरागत लोककलाओं को जिंदा रखने वाले कलाकारों को पद्मश्री, पद्मविभूषण जैसे किसी बड़े पुरस्कारों से ज्यादा शासकीय मानधन समय पर मिलना जरूरी होने का विचार पर्यटक मित्र चंद्रपाल चौकसे ने व्यक्त किया। साथ ही लोक कलाकारों को गत तीन वर्ष का बकाया मानधन दिए जाने की मांग भी दोहराई। भीमसेवा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति रामटेक के तत्वावधान में विदर्भ शाहीर कलाकार परिषद के संस्थापक अध्यक्ष  शाहीर गुलाबराव टेंभुर्णे और पूर्व अध्यक्ष शाहीर धर्मदास भिवगडे, कन्हान की स्मृृृृति, लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे की 102वीं जयंती तथा आजादी के अमृत महोत्सव पर्व पर एक दिवसीय लोककला उत्सव सम्मेलन का आयोजन रामटेक स्थित देशमुख सेलिब्रेशन हाॅल में किया गया था। चौकसे ने कलाकारों के समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि, कोरोना काल में कलाओं का प्रदर्शन पूरी तरह ठप रहने के बावजूद भी यह सांस्कृतिक मंडल वर्तमान में मंच पर विद्यमान है।

कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक एड. आशीष जयस्वाल के हाथों किया गया। बतौर अध्यक्ष पूर्वमंत्री व विधायक सुनील केदार, मुख्य अतिथि के रूप में पर्यटक मित्र चंद्रपाल चौकसे, जिला परिषद अध्यक्ष रश्मि बर्वे, जिप सदस्य दुधराम सव्वालाखे, जिप सदस्य शांता कुमरे, कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष असलम शेख, सचिन किरपान, डाॅ. रामसिंग सहारे, पी.टी.रघुवंशी, सुनील रावत, नितीन भैसारे आदि उपस्थित थे। महाराष्ट्र की पारंपरिक लोक कलाओं के विकास हेतु राजाश्रय की आवश्यकता होने पर बल देते हुए विधायक एड.आशीष जयस्वाल ने प्रलंबित मानधन की मांग पूर्ण करने व बीमा सरंक्षण दिए जाने का प्रयास करने का आश्वासन दिया। जिप सदस्य दुधराम सव्वालाखे ने लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे की जीवनी पर प्रकाश डाला। कलाकारों ने खड़ी गंमत, दंडार, भारुड, भजन, कीर्तन आदि कलाओं की प्रस्तुति दी। आयोजन में जिप सदस्य दुधराम सव्वालाखे की भूमिका अहम रही। प्रस्तावना मनीष भिवगड़े ने रखी। संचालन शाहीर अलंकार टेम्भुर्णे ने किया। कार्यक्रम में जिप सदस्य योगेश देशमुख, रामटेक पंस सभापति कला ठाकरे, पंस सदस्य अस्विता बिरणवार, नरेश बर्वे, दयाराम भोयर, नीलकंठ महाजन, दीपक मोहोड, रामचंद्र दमाहे, धर्मशील वाघमारे, प्रशांत लोणारे, माणिक मोहारे, रामचंद्र अड़माची, कविश्वर खड़से, बबलू दुधबर्वे, मोहन कोठेकर, मोइन पठान, इरशाद पठान, नासिर शेख, यादव जांभुलकर, राजू बघेले, वसीम कुरैशी, अश्विन सहारे, चंद्रभान शिवरकर, रामदास नागपुरे सहित लोक कलाकार, शाहीर, पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।

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