MP में कोयला और पानी की कमी, इस साल हो सकती है बिजली कटौती

MP में कोयला और पानी की कमी, इस साल हो सकती है बिजली कटौती

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-31 07:53 GMT
MP में कोयला और पानी की कमी, इस साल हो सकती है बिजली कटौती

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कोयले की कमी और बांधों में पानी न होने से MP में बिजली की कमी हो गई है। राज्य सरकार ने थर्मल पॉवर स्टेशन में 30 प्रतिशत तक कोयले की कमी होने से केंद्र से मदद मांगी है। इधर ऊर्जा मंत्री ने भी माना है कि कोयले की कमी बनी हुई है। बरसात न होने से बांधों में पानी नहीं है, इसलिए हाइडल उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। इससे आगे भी बिजली की कटौती हो सकती है। अागे बिजली की सामान्य सप्लाई पानी गिरने पर ही हो पाएगी। फिलहाल बिजली की मांग 8000 मेगावाट तक पहुंच गई है, जबकि सिर्फ 7100 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है। इसी के चलते हाल ही में गुजरात से 1000 मेगावाट बिजली खरीदी गई। हालांकि पॉवर मेनेजमेंट कंपनी पॉवर कट होने की वजह लोड सेट्ल्ड होना मान रही है। यही स्थिति बनी रही तो आगे भी बिजली खरीदी जाएगी।

यह है बिजली का गणित

MP में थर्मल, हाइड्रल, सोलर और विंड एनर्जी से कुल बिजली उत्पादन की क्षमता 11383 मेगावाट है, जिसमें थर्मल से 5640, हाइडल से 4000 तथा सोलर और विंड से 1400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। फिलहाल बिजली की मांग 7100 मेगावाट है, बीते दिनों में यह 8000 मेगावाट हो गई। इस 1000 मेगावाट बिजली की खरीदी गुजरात से की गई है।

ऐसे हुई कटौती

  • नर्मदा नदीं पर बने बांधों में पानी न होने से हाइडल बिजली का उत्पादन 4000 से घटकर 2000 मेगावाट ही रह गया है।
  • सारणी पॉवर प्लांट से 600 मेगावाट बिजली मिल रही थी, वहां एक 210 मेगावाट की यूनिट में तकनीकी खराबी आने से 400 मेगावाट बिजली ही मिल रही है।
  • विंड और सोलर एनर्जी से होने वाला 1400 मेगावाट का उत्पादन घटकर 200 मेगावाट ही रह गया है।
  • पॉवर बैंकिंग की भी बिजली मिलने की उम्मीद नहीं पॉवर बैंकिंग के तहत MP में बिजली की मांग कम होने पर पंजाब,  रियाणा और छत्तीसगढ़ के लिए करीब 1000 मेगावाट बिजली दी जाती है। यह बिजली राज्य सरकार इन राज्यों से मार्च से मई के बीच वापस लेती है, इसलिए यह बिजली भी मिलने की उम्मीद नहीं है।
  • इधर शहरी क्षेत्रों में  जबलपुर, भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में औसतन 2 से 3 घंटे बिजली कटौती हो रही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह कटौती 6 से 8 घंटे तक है।

ऊर्जा मंत्री पारसचंद्र जैन ने कहा कि एमपी में कोयले की कमी है और पानी भी कम गिरा है। यही कारण है कि बांधों से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है और बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके चलते 1000 मेगावाट बिजली खरीदी है। बिजली की कमी होने पर आगे भी खरीदी की जाएगी।

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