भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाले ऑफिसर सीएम की राजनैतिक चाकरी में लगे हैं : कांग्रेस

भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाले ऑफिसर सीएम की राजनैतिक चाकरी में लगे हैं : कांग्रेस

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-12 14:52 GMT
भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाले ऑफिसर सीएम की राजनैतिक चाकरी में लगे हैं : कांग्रेस

डिजिटल डेस्क, भोपाल। MP कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और उनके साथ कदमताल करने पर एसपी लोकायुक्त, भोपाल राजेश मिश्रा को कटघरे में खड़ा किया है। एसपी लोकायुक्त 10 सितम्बर को चित्रकूट में विधानसभा उपचुनाव की संभावित घोषणा के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के राजनैतिक प्रवास के दौरान सीएम से कदमताल मिलाते नजर आए थे। उन्होंने कहा है कि राजेश मिश्रा सीएम के हर राजनैतिक प्रवास और उनके शासकीय आवास पर अपनी सेवाएं देते हुए दिखाई देते हैं, आखिरकार इसका कारण क्या है?

केके मिश्रा ने कहा है कि लोकायुक्त संगठन सरकार के अधीन न होकर एक स्वायत्त विधिक संस्था है, जो राज्य सरकार के नियंत्रण की परिधि से बाहर है, जिसका काम भ्रष्टाचार को थामना और भ्रष्टाचारियों को कानून से शासित कर उन्हें बेनकाब करना है, ऐसे में लोकायुक्त एसपी, भोपाल, जिन्हें भ्रष्टाचारियों को पकडऩे की विधिक जिम्मेदारी है। सीएम की ऐसी निजी सेवाओं के पीछे उनके नैतिक दायित्व और व्यक्तिगत् राजनैतिक चाकरी को कौन सी परिभाषा दी जानी चाहिए?

केके मिश्रा ने कहा कि चित्रकूट के सतना जिले में एक भ्रष्टतम व संपन्न सिंहस्थ महाकुंभ में उत्कृष्ट सेवाओं के एवज में सीएम के हाथों सम्मान प्राप्त करने वाले सीएम के चहेते नगर निगम आयुक्त सुरेन्द्र कथूरिया, जिन्हें स्थानीय लोकायुक्त संगठन ने 50 लाख रूपयों की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है, क्या उनकी परोक्ष-अपरोक्ष सहायता करने के लिए तो सीएम के साथ मिश्रा की यह यात्रा तो नहीं थी? यदि नहीं तो मिश्रा ने क्या अपना मुख्यालय छोडऩे की अनुमति प्रभारी लोकायुक्त महोदय से ली थी, वे वहां कैसे, क्यों, किसलिए और किस हैसियत से गए, सार्वजनिक होना चाहिए?

मिश्रा ने कहा है कि MP के सीएम को एक ओर भ्रष्टाचार को लेकर MP में ""जीरो टालरेंस" और कर्मचारियों-अधिकारियों को ""उल्टा लटकाने" का राजनैतिक शाब्दिक स्वांग रच रहे हैं, वहीं भ्रष्टाचारियों को पकडऩे वाली स्वायत्त एवं विधिक संस्था के अधिकारी उनकी राजनैतिक चाकरी में सार्वजनिक तौर पर सामने आ रहे हों, तब उल्टा किसे लटकाया जाना चाहिए?

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