ग्रामीणों की समझदारी से 269 ग्राम पंचायतों के बार्डर से लौटा कोरोना का वायरस
ग्रामीणों की समझदारी से 269 ग्राम पंचायतों के बार्डर से लौटा कोरोना का वायरस
कोरोना कफ्र्यू का समझा महत्व, आवाजाही पर ब्रेक के लिए लगाए नाके, देशी व्यवस्था से खोले भाप केंद्र
डिजिटल डेस्क कटनी । कोरोना संक्रमण रोकने के लिए ग्रामीणों के उठाए गए कदम से कोविड का वॉयरस पंचायतों के बार्डर से लौट रहा है। जिसके चलते 407 में से 269 पंचायत कोरोना मुक्त मरीज गांवों में शामिल हैं। दरअसल दूसरी लहर का खतरा भांपते हुए अफसर अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से ही सचेत हो गए। ग्रामीण एक कदम आकर गांवों में नाके बना दिए। जिसमें बाहरी व्यक्ति को गांव के नाके में ही रोका गया तो ग्रामीणों को तभी गांव से अन्य जगह के लिए निकलने दिया गया, जब उसके पास इमरजेंसी कार्य रहा। अप्रैल माह में जब शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी मरीज मिलने लगे तो फिर जनता ने स्वयं से कोरोना कफ्र्यू का पालन सख्ती से किया। सबसे अधिक जोर बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों पर रहा। इसके लिए प्रत्येक पंचायत में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए। यहां तक की कोरोना किल अभियान की शुरुआत सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में ही हुई। जिससे संदिग्ध मरीजों की तलाश की गई और उन्हें घर में ही क्वारंटाइन करते हुए दवा दी गई। गांव का कोई व्यक्ति बीमार न पडऩे पाए। जिसके लिए कई पंचायतों में भाप केन्द्र भी बनाए गए हैं।
देशी जुगाड़ से बनाया भाप केन्द्र
पंचायत के अंदर ही ग्रामीणों को फ्री में भाप की सुविधा मिले। जिसके लिए देशी जुगाड़ से सौ से अधिक पंचायतों में भाप केन्द्र बनाए गए हैं। इसके लिए ग्रामीणों के सहयोग से ही गैस सिलेंडर, चूल्हा और कुकर की व्यवस्था की गई। कुकर की सीटी हटाते हुए उसमें पाइप लगाई गई। कई जगहों पर पाइप को खिड़की के सहारे बाहर निकाल दिया गया। जिससे की गांव का हर व्यक्ति समय-समय पर भाप ले सके। कई गांवों में तो सुबह और शाम लोग सोशल डिस्टेंसी के बीच सबसे पहले भाप लेते हैं। इसके बाद ही अन्य कार्यों की शुरुआत करते हैं।
मरीज आए तो नाके में सख्ती
शहर की तरह जब ग्रामीण क्षेत्रों में भी मरीज आने लगे तो ग्रामीणों ने नाकों में सख्ती शुरु कर दी। जिसका परिणाम यह रहा कि ग्रामीणों का बेवजह निकलना बंद हुआ। साथ ही कोई बाहरी व्यक्ति भी गांव में प्रवेश नहीं कर सका। यदि किसी रिश्तेदार को गांव के अंदर आना जरुरी रहा तो बार्डर में ही ग्रामीण दूर से हाल-चाल जानते हुए उसे विदा कर दिए। झलवारा के रमेश बताते हैं कि यह सही है कि इस समय रिश्तेदारों ने भी समझदारी दिखाई।