जीडीपी से ही तय नहीं होता देश का विकास, रचनात्मकता और नवाचार जरूरी : मुले

जीडीपी से ही तय नहीं होता देश का विकास, रचनात्मकता और नवाचार जरूरी : मुले

Tejinder Singh
Update: 2019-04-14 11:08 GMT
जीडीपी से ही तय नहीं होता देश का विकास, रचनात्मकता और नवाचार जरूरी : मुले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दुनिया में हर किसी से कनेक्ट हुआ जा सकता है। इस संभावना को रचनात्मकता और नवाचार से जोड़ कर ढ़ेरों समस्याओं का समाधान संभव है, लेकिन विडंबना यह है कि, हमारे नेता विश्व की गतिशीलता को समझने में नाकाम हुए हैं। दुनिया आज कुशल नेतृत्व के अभाव से गुजर रही है। "पासपोर्ट मैन ऑफ इंडिया" के नाम से मशहूर  भारत सरकार के पूर्व उच्चायुक्त डॉ. ध्यानेश्वर मुले शनिवार को सिविल लाइंस स्थित प्रेस क्लब में आयोजित "इंडिया आउट ऑफ इंडिया-ट्रांजिक्शन इन द लास्ट 35 ईयर्स" विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। व्याख्यान का आयोजन विदर्भ इकोनॉमिक डेवलपमेंट (वेद) काउंसिल द्वारा किया गया।

पासपोर्ट मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर पूर्व उच्चायुक्त ने कार्यक्रम में रखे विचार

डॉ.मुले ने कहा कि, हमारे नेताओं के पास आज भी कई बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए इनोवेटिव विजन नहीं है। पर्यावरण प्रदूषण, तकनीक की बढ़ती आक्रामकता से लेकर इंटरनेट की दुनिया में गुम युवा पीढ़ी जैसी समस्याओं के लिए समाधान क्या है, यह कोई नहीं बताता। केवल जीडीपी बढ़ा देने से देश का विकास नहीं हो जाता। जीडीपी से यह पता नहीं चलता कि, पैसा कहां से आया और किन वर्ग के लोगों पर खर्च हुआ। यह किसानों और गरीबों की समस्या पर बात नहीं करती। इसके समाधान को तलाशना छोड़ कर आज भी हमारी राजनीति जातिवादी रूपी बाल की खाल निकालने पर तुली है। 11 अप्रैल को नागपुर में हुए लोकसभा चुनावों में भी यहीं फैक्टर था, जो दु:खद है। इस तमाम समस्या का हल है, हम हर स्तर पर रचनात्मकता को बढ़ाएं। हर समस्या पर विचार करें। इस पूरी प्रक्रिया में हमें संविधान की प्रस्तावना के तत्वों का पालन करना चाहिए। 

9 करोड़ पासपोर्ट करने का लक्ष्य

उन्होंने कहा कि 100 करोड़ की आबादी वाले देश में महज 6 करोड़ लोगों के पास पासपोर्ट थे। उन्होंने इसे बढ़ा कर 9 करोड़ पासपोर्ट करने का लक्ष्य रखा। पहले पासपोर्ट सेवा केंद्र लोगों की पहुंच से बाहर होते थे। उनकी खुद की मां को अपना पासपोर्ट बनाने के लिए अपने घर से 500 किमी दूर मुंबई आकर कुछ दिन धक्के खाने पड़े। तब ही उन्होंने ठान लिया कि, भारत में पासपोर्ट सुविधा को सरल बनाना है। इसी उद्देश्य से 150 नए पासपोर्ट केंद्रों की स्थापना की। कार्यक्रम का संचालन योगिता कस्तूरे ने किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना वेद अध्यक्ष देवेद पारेख ने रखी। इस दौरान शिव कुमार और राहुल उपगल्लावार की भी उपस्थिति थी।

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