थाली में परोसी गई सब्जी; कहीं सेहत से खिलवाड़ तो नहीं, जान लें यह सच

थाली में परोसी गई सब्जी; कहीं सेहत से खिलवाड़ तो नहीं, जान लें यह सच

Tejinder Singh
Update: 2018-07-24 12:18 GMT
थाली में परोसी गई सब्जी; कहीं सेहत से खिलवाड़ तो नहीं, जान लें यह सच

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हरी-भरी साग-सब्जियां सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं, यह सच है, पर यह भी उतना ही सच है कि नागपुर की मंडियों से होकर आपकी थाली तक परोसी जाने वाली सब्जियों में कुछ ‘हानिकारक’ भी हो सकती हैं। जानलेवा भी साबित हो सकती हैं, क्योंकि इनकी सिंचाई ही नहीं, बाजार में आने से पहले सफाई-धुलाई तक जहरीले पानी से होती है। हम बात कर रहे हैं नाग नदी से सटे उस भू-भाग की, जिस पर धड़ल्ले से इस तरह की सब्जियों की खेती हो रही है। पारडी से लगे पवनगांव, भरतगांव, शिवणगांव, शेपुर में सीवेज फॉर्मिंग इन दिनों जाेरों-शोरों से चल रही है। यहां नाग नदी और पीली नदी का संगम है। 

12 महीने बहता रहता है सीवेज वाटर 
शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर कई हेक्टेयर में हरी-भरी सब्जियां आकर्षित करती हैं। किसानों का रुझान यहां सीवेज फॉमिंग की ओर इसलिए बढ़ा है, क्योंकि सीवेज वाटर 12 महीने बहता रहता है। इसमें नाइट्रोजन, फासफोरस की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जिससे फसल में खाद की जरूरत नहीं पड़ती है। गोभी, बैंगन, मूली, गाजर, बथुआ, मेथी, पालक, हरी मिर्च, धनिया और इसके अलावा मौसमी सब्जियां इस जमीन की अहम पैदावार में से हैं। कई जगहों पर तो नाग नदी व पीली नदी के पानी में ही इन सब्जियों की धुलाई भी की जाती है, पानी पर भी नाग नदी के प्रदूषण का असर है। 

खतरे की तय सीमा से कई गुना ज्यादा हेवी मेटल मौजूद
कौस्तुभ चैटर्जी के मुताबिक इस पानी में लेड, कैडियम, क्रोमियम, आयरन और जिंक सरीखे हेवी मेटल खतरे की तय सीमा से कई गुना ज्यादा हैं। हेवी मेटल्स अगर एक बार सब्जी में पहुंच जाएं तो धो लीजिए या फिर सब्जी को उबाल लीजिए, उनकी मौजूदगी रहेगी ही। यानी इन इलाकों में उगने वाली साग-सब्जियां स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक हैं।

मिट्टी भी खराब हो जाती है
मिलिंद शेंडे, कृषि अधीक्षक का कहना है कि सीवेज वॉटर फॉर्मिंग से आस-पास की मिट्टी भी खराब हो जाती है। कई बार नमूने टेस्ट भी किए गए हैं इससे लोगों का ही नहीं, जमीन का भी स्वास्थ्य खराब होता है।  
सीवेज के पानी में ई-कोलाई बैक्टीरिया होते हैं, जो इंसानों के मल में पाए जाते हैं। अगर सीवेज फॉर्मिंग हो रही है तो ये सब्जियों के जरिए ये इंसानों में दोबारा पहुंच सकते हैं। ई-कोलाई इशचेरिचिया कोलाई का संक्षिप्त रूप है। यह एक तरह का बैक्टीरिया है, जो मनुष्यों और पशुओं के पेट में हमेशा रहता है, इस बैक्टीरिया के ज्यादातर रूप हानिरहित हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते हैं, कई बार इनकी वजह से लोगों का गुर्दा काम करना बंद कर देता है। मतलब स्पष्ट है कि सीवेज के पानी से फॉर्मिंग करने से गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। इनमें कैडमियम से कैंसर, हेवी मेटल से हेपेटाइटिस, हार्ट व लिवर की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

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