बेटी और बहू ने बढ़ाए संयम पथ पर कदम, त्याग देख भाव विभोर हुआ शहर

बेटी और बहू ने बढ़ाए संयम पथ पर कदम, त्याग देख भाव विभोर हुआ शहर

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-22 15:26 GMT
बेटी और बहू ने बढ़ाए संयम पथ पर कदम, त्याग देख भाव विभोर हुआ शहर


डिजिटल डेस्क बालाघाट। नगर की धर्मप्रेमी जनता सोमवार को एक ऐसे भव्य महोत्सव की गवाह बनी जिसमें नगर की एक बहू और एक बेटी ने संसार को त्यागकर गुरू भगवंतों की उपस्थिति में उत्कृष्ट स्कूल मैदान में प्रात: जैन भगवती दीक्षा ग्रहण की। जैन आचार्य प.पू. पीयूष सागर जी म.सा.एवं प.पू. प्रज्ञाश्री जी मसा आदि ठाणा की उपस्थिति में समारोह पूर्वक कंचन कोचर और क्षमा बोथरा ने संसार को त्यागकर साध्वी कृपानिधि मसा और साध्वी कत्र्तव्यनिधि मसा के रूप में जैन दीक्षा को ग्रहण किया। इस अवसर पर हजारो की संख्या में स्वधर्मी बंधुओं सहित नगरवासियों ने हिस्सा लिया। दीक्षा की पूर्व संध्या पर जहां शहर के लोगों ने संयम के पथ पर बढ़ रही नगर की बेटी और बहू को भावभीनी बिदाई दी।
चेहरे पर दिखा संयम पर स्वीकारने का उल्लास-
वहीं सोमवार को दीक्षा विधि के दौरान बड़ी संख्या में जनसमुदाय ने भाव विभोर होकर दीक्षा समारोह को देखा। दीक्षा ग्रहण करने के पूर्व दोनो ही दीक्षार्थियों के चेहरे पर दिख रहा उत्साह और उल्लास का भाव देखते ही बन रहा था। दीक्षा विधि के दौरान सांसारिक वस्त्र और भोग विलास को त्याग कर जब कंचन कोचर और कु. क्षमा बोथरा ने जैन साध्वीयो के वस्त्र धारण कर लोगों को प्रथम मंगल पाठ दिया तो जनमानस भाव विभोर हो गया।
लाड़ में पली बेटी और घर की मुखिया रही बहू चलेंगी पैदल-
कल तक घर परिवार में लाड़ प्यार से पली बेटी क्षमा और घर की बहू के रूप में परिवार को नेतृत्व करने वाली कंचन कोचर अब जैन साध्वी हैं। जैन साध्वीयों की तरह ही वे अब सफेद वस्त्र धारण करेगीं। उन का बना स्थान साफ करने का ओघा और लकड़ी के चार बर्तन ही उनकी संपत्ति होगा। नंगे पैर मिलों पैदल चलना और मांगकर भीक्षा के जरिए भोजन ही उनके संयम पथ का अगला पड़ाव हैं। कठोर तप और साधना के जरिए अपने जीवन का कल्याण करने निकली बहू-बेटी का महान त्याग एक नई यात्रा की शुरूआत है जो उन्हें संसार से होकर संयम के रास्ते जैन मान्यता के अनुसार मोक्ष तक ले जाएगा।
 संतो ने हाथो-हाथ संयम पथ के सहभागी के रूप में स्वीकारा-
मुमुक्षु क्षमा बोथरा को पिता निर्मल बोथरा और मां भारती बोथरा वहीं कंचन पति स्व. सुरेश कोचर को पुत्रों यथार्थ, निस्वार्थ और बेटी चिंतन ने हंसते हुए प्रसन्नचित मुद्रा में संसार से संयम पथ की ओर दीक्षा विधि के  दौरान बिदा किया। गुरू भगवंत पीयूष सागर जी मसा और साध्वी प्रियंकरा जी मसा ने इन नई साध्वीयों कृपानिधि और कत्र्तव्यनिधि के रूप में संयम पथ के सहभागी के रूप में सहजता से स्वीकार किया। कल तक गांव की बेटी और बहू रही दोनो ही नव साध्वीयां अब वंदनीय हो गई हैं। लोगों को सद पथ का प्रतिबोध देते हुए अपना आत्म कल्याण करना ही इन दोनो नव साध्वीयों की नियति होगा।  इस पूरे आयोजन में जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक मंदिर ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी अजय लूनिया और दीक्षा समिति के अध्यक्ष अशोक कोचर ने बताया कि बालाघाट श्रीसंघ का परम सौभाग्य है कि नगर की एक बहू और बेटी ने संयम के पथ को अंगीकार किया है और हम सबको इस महान उत्सव का गवाह बनने का सौभाग्य मिला हैं।  
आज होगा विहार-
दीक्षा ग्रहण करने के बाद आज मंगलवार को साध्वी कृपानिधि मसा.एवं कर्तव्यनिधि मसा. नमीऊंण तीर्थ स्थल के लिए साध्वीमंडल के साथ विहार करेगी। सोमवार को दीक्षा उपरांत वे साध्वीयों के साथ जैन स्वाध्याय भवन पहुंच गई हैं। प.पू. खरतरगच्छाचार्य नमिऊण  तीर्थ प्रणेता श्री जिनपीयूष सागर सूरीश्वरजी म.सा.के मुखारविंद से चतुर्विध संघ की साक्षी मे जय जयकारो के बीच दोनों मुमुक्षु बहनो की  दीक्षा संपन्न हुई दोनों दीक्षार्थी अष्टापद तीर्थ प्रेरिका, वर्धमान तपाराधिका प.पू.साध्वी जिनशिशु श्री प्रज्ञाश्रीजी म.सा.की सुशिष्याएं बनी।

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