मदर्स डे : बेटियों से मिलती रही कोरोना वारियर्स मांओं को हिम्मत
मदर्स डे : बेटियों से मिलती रही कोरोना वारियर्स मांओं को हिम्मत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वैसे तो हर रिश्ते की अपनी एक अलग अहमियत है, लेकिन मां-बच्चों का रिश्ता दुनिया में सबसे अलग और अनमोल है। धरती पर मां को ही भगवान का रूप कहा गया है। "मां" शब्द सुनते ही कभी न खत्म होने वाला प्यार और सपोर्ट याद आता है। मां-बच्चों के इसी रिश्तों की रिसपेक्ट करते हुए मदर्स डे मनाया जाता है। मई के दूसरे संडे को दुनियाभर में मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। लॉकडाउन में मदर्स डे पर हमने कोरोना वॉरियर्स से चर्चा की, जिसमें डॉ. तिलोत्तमा पराते, नर्स राधिका विंचूरकर, पुलिसकर्मी पीएसआई दिशा पाटील शामिल हैं।
14 दिन बाद मिली बेटी से, तो रो पड़ी
मेयो हॉस्पिटल कोविड वार्ड में नर्स के रूप में कार्यरत राधिका विंचूरकर ने बताया कि कोविड वार्ड में ड्यूटी होने के कारण घर नहीं जा सकती थी। मेरी सात वर्ष की बेटी रेवा है। कोविड वार्ड में ड्यूटी रहने के कारण सावधानी महत्वपूर्ण है। इसलिए 14 दिन के रोटेशन के बाद ही घर आई। इस दौरान बेटी को बहुत मिस किया। एक या दो बार वीडियो कॉल पर बात हो जाती थी। ड्यूटी करना पहला कर्तव्य होता है, इसलिए पेशेंट की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करती हूं। 14 दिन बाद जब घर लौटी तो बेटी को देखकर आंखों में आंसू आ गए। मां होने के साथ ही नर्स भी हूं, इसलिए अपना कर्तव्य करना भी जरूरी है। कोविड वार्ड में जाने के लिए पीपीई किट पहनना पड़ता है। इसमें कई घंटों तक रहना बहुत मुश्किल है।
4 माह की बच्ची को छोड़ ट्रेनिंग की
पुलिसकर्मी पीएसआई दिशा पाटील ने बताया कि मेरी बेटी प्रांशी 4 महीने की थी तब भी उसे छोड़कर ट्रेनिंग में गई थी। कोविड-19 का संक्रमण के कारण हमें 12-12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है। अभी बेटी 2 साल की हो गई है। उसे मम्मी के घर छोड़कर आती हूं। जब सुबह घर से निकलती हूं, तो बेटी गाड़ी में एक चक्कर घुमाने के लिए कहती है। इन दिनों ड्यटी आवर्स ज्यादा होने से उसे टाइम नहीं दे पा रही हूं। ज्यादातर ऐसा होता है कि घर जाती हूं तो बेटी सो जाती है। फिर सोते समय ही उसे प्यार कर लेती हूं। सुबह उसे जल्दी उठने का इंतजार करती हूं, ताकि उसके साथ थोड़ा वक्त बीता सकूं। ड्यूटी का समय होते ही फिर घर से निकल पड़ती हूं।