नोटबंदी : बीड़ी व्यवसाय को झटका, काम में 40 फीसदी की कटौती

नोटबंदी : बीड़ी व्यवसाय को झटका, काम में 40 फीसदी की कटौती

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-19 05:29 GMT
नोटबंदी : बीड़ी व्यवसाय को झटका, काम में 40 फीसदी की कटौती
हाईलाइट
  • नोटबंदी के बाद राज्य के बीड़ी मजदूरों के काम में 40 फीसदी की कटौती कर दी गई।
  • जिसका सीधा असर 5 लाख बीड़ी मजदूरों के जीवन पर पड़ा है।
  • नोटबंदी से प्रदेश के बीड़ी व्यवसाय व इसमें लगे मजदूरों को तगड़ा झटका लगा है।

डिजिटल डेस्क ,नागपुर। नोटबंदी से प्रदेश के बीड़ी व्यवसाय व इसमें लगे मजदूरों को तगड़ा झटका लगा है। नोटबंदी के बाद राज्य के बीड़ी मजदूरों के काम में 40 फीसदी की कटौती कर दी गई। जिसका सीधा असर 5 लाख बीड़ी मजदूरों के जीवन पर पड़ा है। राज्यभर में नोटबंदी से पहले बीड़ी मजदूरों को कंपनी की ओर से एक से डेढ़ हजार बीड़ी के लिए तेंदूपत्ता व तंबाकू दिया जाता था। लेकिन नोटबंदी के बाद बीड़ी कंपनियों ने काम में कटौती कर दी। वे मजदूरों को अब सिर्फ 700 बीड़ी का कच्चामाल दे रही हैं।

अकेले सोलापुर जिले में 65 हजार बीड़ी मजदूर हैं। नोटबंदी से पहले यहां रोज 4 करोड़ बीड़ी बनती थीं। लेकिन नोटबंदी के बाद केवल ढाई करोड़ बीड़ी बन रही हैं। कमोबेश यहीं हाल अन्य जिलों का भी है। उल्लेखनीय है कि सोलापुर में बीड़ी व्यवसाय का 75 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। 10 करोड़ रुपए तो सिफ मजदूरी दी जाती है। 13 बीड़ी कंपनियां हैं। उनकी 150 से अधिक शाखाएं है। इनमें साबले-बागरे कंपनी, देसाई बीड़ी, तिवारी बीड़ी, मुंशी बीड़ी, सिन्नर बीड़ी व ठाकुर-सावदेकर की तीन कंपनियां हैं। इनका व्यवसाय महाराष्ट्र, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश तक फैला है।

हर हफ्ते मजदूरी भी बंद
इस व्यवसाय में मजदूरों को हर हफ्ते मजदूरी का भगुतान किया जाता था। यह सालों से चलती आ रही चुकारा (वेतन भुगतान) पद्धति थी। नोटबंदी ने इसे समाप्त कर दिया। सबके बैंक खाते खुलवाए गए। जिसके बाद अब हफ्ते की जगह महीने में वेतन दिया जाने लगा है। नतीजतन मजदूर बैंक में तीन-चार घंटे कतार में लगने को मजबूर हो गए हैं। हर हफ्ते मजदूरी पाने के आदी हो चुके बीड़ी मजदूरों के परिवार अब नई व्यवस्था से कर्जदार होते जा रहे हैं। 

बीड़ी छंटाई बढी
नोटबंदी के बाद बीड़ी छंटाई 50 के बजाय 200 तक की जाने लगी है। न्यूनतम वेतन 210 के जगह 118 रुपए दिया जा रहा है। इसके खिलाफ 1800 केस कोर्ट में दाखिल किए गए। उनपर अब तक निर्णय नहीं हुआ। हालांकि दो माह पहले न्यूनतम वेतन के लिए नई समिति बना ली गई। 

अब कुछ क्षेत्रों में ही बचा व्यवसाय
सरकार की नीतियों की वजह से महाराष्ट्र में बीड़ी व्यवसाय चरमरा गया है। यह व्यवसाय अब कुछ ही क्षेत्रों में बचा है। इनमें सोलापुर, पुणे, भिवंडी, जालना, मुंबई, संगमनेर, अहमदनगर, अकोला, भंडारा, गोंदिया, कामठी शामिल हैं। एक जमाने में नागपुर में फलाफूला यह व्यवसाय यहां 20 साल पहले ही बंद हो गया। 

धूम्रपान संबंधी चेतावनी का असर
हफ्ते की जगह महीने में मजदूरी मिलने लगी। 5000 रुपए तक का मजदूरी भुगतान कंपनी से ही करने के केंद्र के आदेश पर राज्य सरकार अमल नहीं कर रही। धूम्रपान संबंधी चेतावनी बड़े अक्षरों में दिए जाने का असर भी व्यवसाय पर पड़ रहा है। 
नरसिय्या आडम, बीड़ी मजदूर नेता, पूर्व विधायक

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