यूनिवर्सिटी की वित्त प्रबंधन समिति को ही ब्योरा नहीं दे रहा विभाग

यूनिवर्सिटी की वित्त प्रबंधन समिति को ही ब्योरा नहीं दे रहा विभाग

Anita Peddulwar
Update: 2019-12-03 08:12 GMT
यूनिवर्सिटी की वित्त प्रबंधन समिति को ही ब्योरा नहीं दे रहा विभाग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की आर्थिक पारदर्शिता सवालों के घेरे में है। विश्वविद्यालय ने अपने पैसों के सही प्रबंधन और अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगाने के लिए मार्च में चार सदस्यीय वित्त प्रबंधन समिति गठित की थी। समिति को यूनिवर्सिटी की आमदनी और खर्च के पूरे रिकॉर्ड की पड़ताल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन 7 माह बीत गए विश्वविद्यालय के वित्त व लेखा विभाग ने समिति को अपना रिकॉर्ड ही नहीं भेजा। समिति के सदस्यों के अनुसार उन्होंने बार-बार वित्त व लेखा अधिकारी डॉ. राजू हिवसे से ब्योरा मांगा, लेकिन अब तक समिति के पास ब्योरा नहीं भेजा गया है। जानकारी के अनुसार समिति ने वित्त व लेखा विभाग को बारिक से बारिक ब्योरा तक मांगा है, जिसे देने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं।

इसलिए गठित हुई थी समिति
350 करोड़ रुपए से अधिक के कामकाज वाले राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में आर्थिक मामलों से जुड़ी कई अनियमितताएं सामने आ रही थीं। ऐसे में मार्च में हुई सीनेट बैठक में एड. मनमोहन बाजपेयी ने बैठक में मुद्दा उठाया कि विवि ने करंट अकाउंट 33 करोड़ 88 लाख 32 हजार 879 रुपए हैं। इसका कोई ब्याज विवि को नहीं मिल रहा है। इस रकम को फिक्स या सेविंग अकाउंट में डालने पर विवि को लाखों रुपए का ब्याज मिल सकता है। समिति में प्रभारी प्रकुलगुरु डॉ. विनायक देशपांडे, चार्टर्ड अकाउंटेंट जोशी व एक अन्य सदस्य का समावेश है।

परीक्षा विभाग में थीं गड़बड़ियां
यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग में सर्वाधिक गड़बड़ियां उजागर हो रही थीं। दरअसल विवि परीक्षा के कामकाज के लिए यह एडवांस पेमेंट जारी करता है। परीक्षा होने के बाद संबंधितों को पूरा हिसाब किताब विवि को देना पड़ता है। इसके बाद रकम कम या ज्यादा होने पर इसे एडजस्ट किया जाता है, लेकिन ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि विवि ने लंबे समय से इसका सेटलमेंट नहीं किया है। संबंधित वर्ष में केवल 40 करोड़ 25 लाख 84 हजार 619 रुपए के हिसाब मेल खा रहे थे। पिछले वर्ष जारी किए गए 9 करोड़ 50 लाख 58 हजार 698 रुपए का भी विवि के पास कोई हिसाब नहीं था। वहीं नागपुर विश्वविद्यालय की ऑडिट रिपोर्ट में यह निकल कर आया था कि नागपुर विवि ने परीक्षा के कामकाज के लिए संबंधित स्पॉट सेंटर प्रमुखों व केंद्रों को जो एडवांस पेमेंट जारी किया, उसमें से 21 करोड़ 68 लाख 51 हजार 95 रुपए का कोई एडजस्टमेंट नहीं किया गया था।

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