इलाज में लापरवाही, 10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने जिला उपभोक्ता फोरम का आदेश

 इलाज में लापरवाही, 10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने जिला उपभोक्ता फोरम का आदेश

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-04 07:46 GMT
 इलाज में लापरवाही, 10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने जिला उपभोक्ता फोरम का आदेश

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जिला उपभोक्ता फोरम क्रमांक-2 ने इलाज में लापरवाही से मरीज की मौत होने पर सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर नागरथ चौक के प्रबंध संचालक और डॉ. उमेश अग्रवाल को मरीज के परिजनों को दो माह के भीतर 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। फोरम के अध्यक्ष केके त्रिपाठी और सदस्य योमेश अग्रवाल ने मरीज के परिजनों को वाद-व्यय के रूप में 10 हजार रुपए भी देने के लिए कहा है। 

डॉक्टर ने रात में आने से मना किया था

गोलछा अपार्टमेंट साउथ सिविल लाइन्स निवासी तृप्ति श्रीवास्तव की ओर से दायर प्रकरण में कहा गया कि उनके 48 वर्षीय पति अमूल्य श्रीवास्तव को 20 अगस्त 2012 को रात के समय लो ब्लडप्रेशर की शिकायत हुई। हालत गंभीर होने पर उन्हें रात 11.30 बजे सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर नागरथ चौक के आईसीयू में भर्ती कराया गया। रात में डॉ. उमेश अग्रवाल को कॉल कर मरीज को देखने के लिए बुलाया, लेकिन डॉ. अग्रवाल ने रात में आने से मना कर दिया। 21 अगस्त को सुबह 9 बजे अमूल्य श्रीवास्तव को सांस लेने में तकलीफ हुई। प्रबंधन से शिकायत करने पर एक जूनियर डॉक्टर ने अटेंड किया। डॉ. अग्रवाल सुबह 10 बजे आए और कहा कि मरीज की हालत बहुत गंभीर है। मरीज की तबियत बिगड़ती ही जा रही थी। कुछ ही देर में मरीज की मौत हो गई।

मरीज को वेन्टीलेटर पर रखवा दिया

इसके बाद मरीज को वेन्टीलेटर पर रखवा दिया गया। 21 अगस्त को दोपहर 12.30 बजे डॉ. अग्रवाल ने मरीज को मृत घोषित किया। आरोप लगाया कि इलाज में लापरवाही की वजह से मरीज की मौत हो गई। अस्पताल की ओर से अपने जवाब में कहा गया कि 20 अगस्त की रात जब मरीज को लाया गया तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। उनका पसीना निकल रहा था, वे बेचैनी महसूस कर रहे थे। परिवादी ने जैसे ही सूचित किया तो डॉ. अग्रवाल ने मरीज को अटेंड किया। 21 अगस्त को सुबह 10.30 बजे मरीज को रिस्पाइरेटरी अरेस्ट हुआ। इसके बाद उन्हें वेन्टीलेटर सपोर्ट पर रखा गया। दोपहर 12.30 बजे मरीज की मृत्यु हो गई। डॉ. अग्रवाल ने उनके इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं की है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फोरम ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण में मेडिकल लापरवाही स्पष्ट रूप से प्रमाणित है, जो सेवा में कमी की श्रेणी में आती है। फोरम ने आदेशित किया है कि मरीज के परिजनों को हास्पिटल के प्रबंध संचालक और डॉक्टर दो माह के भीतर 10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति का भुगतान करें।
 

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