कुत्तों की नसबंदी : अब तक नहीं हुआ ऑपरेशन सेंटरों का सेलेक्शन
कुत्तों की नसबंदी : अब तक नहीं हुआ ऑपरेशन सेंटरों का सेलेक्शन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ती तादाद से एक तरफ नागरिक परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर नागपुर महानगर पालिका इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लग रहा है कि आवारा श्वानों की आबादी की रोकथाम के लिए मनपा ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) कार्यक्रम शुरू करने की तैयारियां की थी। स्थाई समिति की बैठक में इसके लिए 3.5 करोड़ रुपए मंजूर भी किए गए थे। मानसून के पहले इस अभियान को खत्म करने का लक्ष्य था, लेकिन ऑपरेशन सेंटरों का ही अब तक चयन नहीं किया गया है। ऐसे में इस अभियान पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
अभियान पूरा होने में लगेंगे दो साल
मानद पशु कल्याण अधिकारी करिश्मा गलानी बताती हैं कि मनपा ने शुरुआत में एबीसी को लेकर सरगर्मी दिखाई थी। तीन माह बीत चुके हैं और अब तक इसकी तैयारियों में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। एनिमल वेलफेययर बोर्ड ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के अनुसार एबीसी में श्वानों की नसबंदी करने के लिए 7 कमरों की जरूरत होती है। इसके लिए मनपा की बंद पड़ीं शालाएं उपयुक्त मानी जा रही हैं। नागपुर में एबीसी कार्यक्रम को पूरा करने के लिए 2 साल लगने का अनुमान है। मनपा की एबीसी को लेकर की गई प्राथमिक बैठकों में इस कार्यक्रम के लिए पांच सेंटर बनाना तय किया गया था।
आगे नहीं आ रहीं संस्थाएं
नागपुर शहर सीमा के भीतर करीब 76 हजार श्वान हैं, जिनकी आबादी को नियंत्रित करना बहुत जरूरी हो चला है। बारिश का सीजन जानवरों के संसर्ग काल के तौर पर जाना जाता है। इस सीजन में इसे पूरा करने का प्लान मनपा का था, लेकिन अब बारिश का मौसम समाप्त होने को है, इसके बावजूद यह अब तक शुरू नहीं हो सका है, जिससे आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ने के आसार जताए जा रहे हैं। शहर के 76 हजार श्वानों में से करीब 50 हजार श्वानों का ऑपरेशन किया जाना है।
प्रत्येक श्वान के ऑपरेशन के लिए एडब्ल्यूबीआई की ओर से 700 रुपए दिया जाना तय किया गया है। संस्थाएं यह रकम नाकाफी बता रही हैं, इसलिए वे ऑपरेशन के लिए आगे नहीं आ रही हैं। हालात ये हैं कि मनपा की ओर से इतने बड़े अभियान को पूरा करने के लिए अनुभवी संस्थाओं और स्वयंसेवी संस्थाओं को आमंत्रण देने तक के विज्ञापन नहीं जारी किए गए हैं। इस संबंध में जब मनपा के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप दासरवार से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो वे उपलब्ध नहीं हो सके।