डॉ. संजीव चौधरी महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी, नाशिक के प्रबंधन मंडल में शामिल

डॉ. संजीव चौधरी महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी, नाशिक के प्रबंधन मंडल में शामिल

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-12 06:22 GMT
डॉ. संजीव चौधरी महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी, नाशिक के प्रबंधन मंडल में शामिल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर के अस्थि-रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव चौधरी को महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नाशिक के प्रबंधन मंडल में शामिल किया गया है। उनकी नियुक्ति राज्य के राज्यपाल व विश्वविद्यालयों के कुलपति विद्यासागर राव ने की है। शहर के जाने-माने आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. चौधरी को जन-स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।

ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति किया जागरूक
उल्लेखनीय है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हडि्डयों के कमजोर होने वाली बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति जनजागृति बढ़ाने में इनका विशेष योगदान है। विदर्भ के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति जागरूक करने लिए उन्होंने ऑनलाइन सेवा हीटको (हेल्थ एजुकेशन एंड टेलीकंसल्टेशन ऑन  ऑस्टियोपोरोसिस) शुरू की है। हीटको के माध्यम से ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जानकारी दी जाती है। चयनित 117 गांवों में से अब तक 52 गांवों में यह अभियान सफल रहा है। बड़ी संख्या में लोगों ने इसका लाभ  उठाया। सार्क देशों में ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ जनजागृति लाने के लिए  उन्हें नेपाल में अंतरराष्ट्रीय सम्मान ग्लाेबल हेल्थ क्रसेडर ऑफ द इयर से नवाजा जा चुका है। 

भारत सरकार को सौंपा श्वेत-पत्र
विदर्भ आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने विदर्भ के नौ जिलांे में विभिन्न व्यवसाय से जुड़ी महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी के अध्ययन किया था। इस बीमारी के प्रति सरकार को ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने श्वेत पत्रिका तैयार कर भारत सरकार को सौंपा था। इससे सरकार को गैर-संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए नीति तैयार करने में काफी मदद मिली। चीन में ऑस्टियोपोरोसिस पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. चौधरी के शाेध-पत्र भारतीय पर्यावरण और ऑस्टियोपोरोसिस को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। उनके कई शोध पत्र राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने रिसर्च व शिक्षा के लिए ओएससीईआर की स्थापना की है, जिसके तहत नियमित रूप से कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।

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