महिलाओं को स्वावलंबी बनाने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर

शहडोल महिलाओं को स्वावलंबी बनाने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर

Ankita Rai
Update: 2022-02-07 10:41 GMT
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर

डिजिटल डेस्क शहडोल प्रधानमंत्री की मंशा वोकल फॉर लोकल को हम सब तभी साकार कर सकेंगे जब स्थानीय उत्पादों से विभिन्न प्रकार की सामग्रियां तैयार कर उनके बेहतर मार्केंटिग की व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो सकें। इस हेतु स्व सहायता समूहों से जुड़ी महिला सदस्यों को इनका प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के नये आयामों से जोडऩा होगा। जिससे वे अपने बेहतर जीविकोपार्जन हेतु छोटे-छोटे उत्पाद तैयार कर एवं उन्हें बेचकर अपनी आमदनी बढ़ाने में सक्षम होगी। 
उक्त आशय की बात अध्यक्ष महिला वित्त एवं विकास निगम अमिता चपरा ने आज स्थानीय कल्याणपुर में संचालित सह जीवन समिति के उत्पादों के अवलोकन अवसर पर कहें। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महिलाओं को स्व सहायता समूहों के माध्यम से विकसित करने का काम करने के लिए प्राथमिकता के साथ काम करूंगी। उन्होंने नींबू के छिलके को फेंकने के वजह उसके बेहतर पेस्ट बनाने का टिप्स बताते हुए कहा कि नींबू के छिलके को पीस कर उसमें सेंधा नमक, अजवाइन, हींग, लहसुन एवं काला नमक मिलाकर स्वास्थ्यवर्धक एवं स्वदिष्ट पेस्ट या चटनी बनाई जा सकती है। सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के कार्य हम सब को मिलकर  करने होंगे, जिससे महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ आमदनी के स्त्रोत भी सृजित होंगे। इस मौके पर उन्होंने गेंहू, सोयाबीन, मूंगफली, मूंगदाल, सोंठ, घी एवं मिश्री से निर्मित प्रोटीन पाउडर, कच्चा पपीता की बड़ी, मुन्गा पत्ती की बड़ी, अमरू के फूल, महुआ के उत्पाद, मोंवा घास, लेवन ग्रॉस, सतावरी, सोंठ का त्रिकटयुक्त गुड़, तिलवारिया का बिस्कुट आदि स्थानीयता की वस्तुओं को बढ़ावा देने की अन्य सामग्रियों का भी अवलोकन किया एवं उत्पादों को स्वय क्रय भी किया। 
इस मौके पर मनीषा माथनकर एवं गिरिधर माथनकर संचालक सहजीवन समिति ने कहा कि जिले में 10 हजार परिवारों को सहायता समूह से जोड़ा गया है। वाटर शेड योजना का उपयोग सब्जी, फलदार व औषधीय पौधों का विकास करने, उद्यानिकी विभाग के साथ मिलकर कार्य करने मुर्तरूप दिया जा रहा है। साथ ही जिले की 5697 वर्ग किलो मीटर की भूमि को विविध रूप से विकसित करने नागरिकों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पौराणिक चींजो का संरक्षण, संवर्धन एवं प्राकृतिक संसाधन एवं प्रबंधन तथा जल संरक्षण के कार्य भी किये जा रहे हैं।

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