हौसलों ने दी आर्थिक तंगी को दी मात, एक ने गोल्ड तो दूसरे ने जीता ब्रान्ज

हौसलों ने दी आर्थिक तंगी को दी मात, एक ने गोल्ड तो दूसरे ने जीता ब्रान्ज

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-11 12:06 GMT
हौसलों ने दी आर्थिक तंगी को दी मात, एक ने गोल्ड तो दूसरे ने जीता ब्रान्ज

पॉवर लिफ्टिंग में युवाओं ने कटनी को दिलाया दो पदक, खेल प्रेमियों में हर्ष
डिजिटल डेस्क  कटनी ।
मन में कुछ करने का जज्बा हो तो फिर मुश्किलें राहें भी आसान हो जाती हैं। शहर के दो युवाओं ने इस वाक्य को सही कर दिखाया। शिवपुरी में प्रदेश स्तरीय पॉवरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में कटनी के हिस्से में दो-दो मेडल आने से खेल प्रेमी खुशी से झूम रहे हैं। बेहद कम संसाधनों के बावजूद दोनों ने सपनों के पंखों में वह उड़ान भरी है। जिसका सपना तो हर माता-पिता का रहता है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण लाख कोशिशों के बावजूद भी अपने बच्चों के लिए संसाधन नहीं जुटा पाते और न ही मंहगे जिम में ट्रेनिंग दिला पाते। इसके बावजूद खिरहनी वेंकट वार्ड निवासी महेश प्रसाद निषाद और श्रीमति सावित्री निषाद के बेटे अभय निषाद अपने परिवार के भरोसे को कायम रखते हुए अन्य लोगों के लिए मिशाल पेश की। इन्होंने स्वर्ण पदक जीता। दुर्गा चौक निवासी सोनू विश्वकर्मा ने कांस्य पदक जीता।
चैलेंज को स्वीकारा
अभय निषाद उन युवाओं में से है। जिसके मन में शुरु से ही कुछ करने का जज्बा रहा। पिता महेश प्रसाद टेंट के छोटे व्यवसाई रहे। इस व्यवसाय से उनके साथ घर के अन्य सदस्यों का जीवन यापन हो रहा था। टेंट का काम करते समय एक बार करंट का शिकार हो गए। जिसके चलते चौबीस घंटे काम करने की क्षमता कम हो गई। स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टरों ने सलाह दी कि वे दिन में ही कुछ घंटे काम कर सकते हैं। जिसके बाद आमदनी भी कम होने लगी। इसके बावजूद बच्चे के हौसलों को कम नहीं होने दिया। इसी तरह से दुर्गा चौक निवासी नरेश विश्वकर्मा के पुत्र सोनू विश्वकर्मा ने भी कमाल कर दिखाया।
घर से हुई शुरुआत
मंहगे जिमों का खर्चा परिवार पर बोझ न बने। इसके लिए अभय ने घर में ही पहले एक वर्ष तक प्रेक्टिस किया। इसके बाद ट्रेनर अविनाश दुबे के माध्यम से अंदर की छिपी प्रतिभाओं को निखारा। महेश बताते हैं कि बेटे की इच्छा तो चैम्पियन बनने की रही, लेकिन वह किसी तरह का आर्थिक बोझ अपने परिवार पर नहीं डालना चाहता था। जिसके लिए पहले घर में ही प्रेक्टिस किया, फिर जिम में कुछ माह तक प्रेक्टिस करने के बाद ट्रेनर के रुप में काम करने लगा। इससे उसे कुछ रुपए मिलने लगे। इस रुपए को उसने डाइट में और स्वयं के प्रेक्टिस में लगाया।
नेशनल चैम्पियन का ख्वाब
प्रदेश स्तर पर सफलता का परचम लहराने वाले दोनों युवा बताते हैं कि अभी उन्हें और मेहनत करना है। अभिषेक ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वेटलिफ्टिंग का शौक उन्हें जागा। जब यह बात अपने दोस्तों को बताई तो उनके पतलेपन पर कुछ लोगों ने मजाक भी उड़ाया और कुछ दोस्त ऐसे भी रहे। जिन्होंने हौसला बढ़ाया। माता-पिता, भाई और बहन ने उन्हें आगे बढऩे की सीख दी।
 

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