आधी रात को होने लगी तारों की बरसात, जानिए क्या है मीटियोर शॅावर
आधी रात को होने लगी तारों की बरसात, जानिए क्या है मीटियोर शॅावर
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। आसमान से पानी की बारिश, ओले गिरना तो आपने सुना होगा, लेकिन कुदरत का एक खेल ऐसा भी है, जब आसमां में कुछ ऐसा नजारा बनता है, जिसमें तारों की बारिश होने का अहसास होता है। यह घटना है- मीटियोर शॉवर। जब पृथ्वी किसी एस्टरॉयड के बेहद नजदीक होती है, तब यह घटना होती है। दिसंबर के दौरान हर वर्ष दिखने वाले मीटियोर शॉवर को जेमीनिड मीटियोर शॉवर नाम दिया गया है। पिछली रात को भी गूगल ने डूडल से इस घटना के घटित होने की जानकारी दी। शहर के विज्ञान प्रेमियों में यह डूडल बहुत चर्चा का विषय रहा। बच्चे तो तारों की बारिश देखने छतों पर भी पहुंचे। हमने एक्सपर्ट से इस घटना के बारे में जाने कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
जानिए क्या है वजह
पहले समझिए क्या हैं एस्टरॉयड- क्षुद्रग्रह अथवा ऐस्टरॉयड खगोलीय पिंड होते हैं, जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते हैं। ये अपने आकार में ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते हैं।
यही बनते हैं वजह
तारों की बारिश उल्कावृष्टि फैथॉन नाम के एस्टरॉयड (क्षुद्रग्रह)के कारण होती है। दिसंबर माह में 3200 फैथॉन एस्टरॉयड पृथ्वी का रास्ता काटते हैं। बता दें ये वही एस्टरॉयड हैं, जिनके कण पृथ्वी के रास्ते के मोड़ पर मौजूद होते हैं। इनमें से छोटे कण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं और जलने लगते हैं। दिखने में ये बिल्कुल ऐसे लगते हैं, जैसे सितारे टूटकर गिर रहे हों।
नजारा किस पर निर्भर करता है
इस नजारे को देख पाना काफी हद तक मौसम पर भी निर्भर करता है, अगर मौसम साफ रहा, तो नजारा और भी खूबसूरत दिखाई देता है। सिटी में लोगों ने इसे देखने का प्रयास तो किया, लेकिन जानकारों के अनुसार खुले एरिया में इसे देखना संभव है, साथ ही यह पृथ्वी की पोजिशन पर भी निर्भर करता है कि किन कंट्रीज में शॉवर होगा। कुछ जानकारों का मानना है कि 13 से 16 दिसंबर तक यह घटना दिखाई दे सकती है।
एक्सपर्ट व्यू
सौरमंडल की उत्पत्ति पर प्रकाश
हमें बच्चों को यह बताना चाहिए कि कोई भी क्षुद्रग्रह जब पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आता है, तो घर्षण की वजह से टूटता है, जिसके टुकड़े जलते हुए धरती पर गिरते हैं। क्षुद्रग्रह पृथ्वी की चट्टानों की तुलना में साधारणत: 2 से 3 गुना भारी होता है। क्षुद्रग्रह खनिजों का भंडार हैं, इनमें निकिल, लोहा और प्लेटिनम पाए जाते हैं। उल्कापिंड की यदि बात की जाए, तो यह सौरमंडल की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हैं। एक उल्कापिंड साइबेरिया के जिस क्षेत्र में गिरा, वहाँ हीरे का सांद्रण बड़ी मात्रा में हुआ।
डॉ. विजय खन्ना, पूर्व प्राध्यापक साइंस कॉलेज
एस्टरॉयड को ग्रह या उपग्रह नहीं मान सकते
एस्टरॉयड (क्षुद्रग्रह)को हम ग्रह या उपग्रह नहीं मान सकते हैं। ये खगोलीय पिंड हैं, जब पृथ्वी इनके बेहद करीब पहुँचती है, तब इस तरह की घटना घटती है। बच्चों और विज्ञान के छात्रों को इस तरह की घटनाओं के बारे में बताया जाना चाहिए, ताकि उनकी खगोल विज्ञान में रुचि जागे। हम बिना किसी विशेष चश्मे की मदद से यह नजारा देख सकते हैं। यह घटना हर वर्ष होती है।
प्रो.संजय अवस्थी, साइंस कॉलेज
अद्भुत घटना है
यह एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जिसमें हम मीटयोर को अनुभव कर सकते हैं। इस तरह की घटनाएं स्पेस साइंस की खोज और उसके नए आयामों को जानने में बहुत मददगार सिद्ध हो सकती हैं। इस घटना को देखा जाना या न देखा जाना पृथ्वी की घूर्णन स्थिति पर निर्भर करता है। स्पेस में होने वाली घटनाओं का पृथ्वी पर एविडेंस मिलना नई खोजों को जन्म देता है।
राजेश कौरव, एक्सपर्ट