कर्ज का बोझ और खेती की बर्बादी से तंग किसान ने की आत्महत्या

कर्ज का बोझ और खेती की बर्बादी से तंग किसान ने की आत्महत्या

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-25 09:37 GMT
कर्ज का बोझ और खेती की बर्बादी से तंग किसान ने की आत्महत्या

डिजिटल डेस्क, रीवा। कर्ज का बोझ और लगातार कई साल से खेती की बर्बादी से परेशान किसान ने जहर खाकर जान दे दी। हर सीजन में यह किसान इस उम्मीद के साथ संघर्ष कर रहा था कि शायद अब अच्छी फसल हो। लेकिन उसकी मेहनत पर लगातार पानी फिर रहा था। कर्ज के टेंशन के बीच खेती में हो रहे नुकसान से यह किसान इतना परेशान हो गया कि उसे मौत के सिवाय कोई रास्ता नजर नहीं आया। जिला मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर मनगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत कांटी गांव में रहने वाले गुरूप्रसाद पटेल पुत्र रामफल 45 वर्ष का  परिवार खेती पर ही निर्भर था। लेकिन कभी प्रकृति रूठी तो कभी जल संकट की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ।

चार साल से यही क्रम बना रहा। खेती के लिए इस किसान ने कर्ज भी लिया। लेकिन अच्छा उत्पादन न होने की वजह से वह कर्ज के बोझ से नहीं निकल पा रहा था। दो एकड़ में उसने प्याज लगाई, लेकिन जल स्तर नीचे होने की वजह से बोर सूख गया और सिंचाई नहीं कर पाया। इस वजह से प्याज की फसल भी सूख गई। ऐसे में परेशान होकर किसान ने जहर का सेवन कर लिया। बीती शाम जहर का सेवन करने वाले इस किसान को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां से हालत गंभीर देख रीवा रेफर किया। संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय पहुंचने पर चिकित्सकों ने परीक्षण कर मृत घोषित कर दिया। 

पन्द्रह एकड़ भूमि के मालिक थे गुरू प्रसाद 
कांटी गांव के गुरू प्रसाद पटेल की मौत से गांव में सनाका खिंच गया। शासन-प्रशासन के लिए  भी उनकी मौत एक सवाल है। परिजन बताते है कि पन्द्रह एकड़ भूमि के मालिक होने के बाद भी उनकी परेशानी कम नहीं हो रही थी। आर्थिक स्थिति इस कदर बिगड़ी थी कि बेटी के हाथ पीले करने के लिए भी उन्हें कर्ज का सहारा लेना पड़ा। उनके दो पुत्र और एक पुत्री है। बेेटी का विवाह बीते साल ही उन्होंने किया। बताया जाता है कि पिछले चार वर्षो से जिस तरह खेती में नुकसान हो रहा था, उसके चलते वे हर पल अपनी बेटी के विवाह को लेकन चिंतित रहते थे। किसी कदर उन्होंने अपनी बेटी का विवाह तो कर दिया, लेकिन कर्ज का बोझ उन्हें जीने नहीं दे रहा था। बैंक से कर्ज की राशि अदा करने के लिए लगातार उन्हें नोटिस मिल रही थी।  लेकिन खेती की जो स्थिति थी, उसे देखकर वे समझ गए कि कर्ज चुकाना अब उनके बस की बात नहीं रही और इसलिए ही उन्होंने मौत को गले लगा लिया। 

तीन लाख पिता का, छह लाख खुद का कर्ज 
मृतक के परिजन बताते हैं कि नौ लाख रूपये का कर्ज था। मृतक के पिता रामफल ने वर्ष 2003 में इलाहाबाद बैंक से ट्रेक्टर के लिए कर्ज लिया था। दो साल पहले रामफल की मौत हो गई। इस तरह पिता द्वारा लिए गए तीन लाख रूपये के कर्ज का बोझ गुरू प्रसाद पर आ गया। वहीं बीते वर्ष गुरू प्रसाद ने खेती और बेटी के ब्याह की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिंडिकेट बैंक से छह लाख रूपये बतौर कर्ज हासिल किया। इस तरह उन पर नौ लाख रूपये के कर्ज का बोझ हो गया। खेती साथ नहीं दे रही थी। हर बार खेती से निराश हाथ लग रही थी। जिसके चलते उन्होंने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। 

चार साल से ज्यादा टेंशन में रहते थे पिताजी 
मृतक के पुत्र अशोक कुमार पटेल की मानें तो प्रकृति की मार से खेती लगातार  प्रभावित हो रही थी। पिता ने सोंचा था कि बैंक से कर्ज लेकर स्थिति को ठीक किया जा सकेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। खेती के लिए पानी चाहिए, लेकिन बोर सूख गया है। पिता ने दो एकड़ क्षेत्र में जो प्याज लगाई, वह खराब हो गई। चार साल से पिता काफी टेंशन में चल रहे थे। हर पल उन्हें एक ही बात की फिक्र रहती थी कि जो स्थितियां हैं, उसमें कैसे जीवन चलेगा। इन सब बातों को से परेशान होकर पिता ने जहर का सेवन कर लिया। 

इनका कहना है 
किसान द्वारा आत्महत्या किए जाने का मामला संज्ञान में आया है। वस्तुस्थिति जानने के लिए मौके पर पटवारी को भेजा गया है। यदि ऐसा हुआ है तो पीडि़त परिवार के साथ हमारी पूरी संवेदना है। इस मामले में जो भी शासकीय प्रावधान हैं उसके तहत पीडि़त परिवार को मदद पहुंचाई जाएगी। 
आशीष पाण्डेय, एसडीएम मनगवां

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