मेयो हास्पिटल से पहली बार हुआ आर्गन डोनेट, ब्रेन-डेड मरीज ने दिया 4 लोगों को जीवनदान

मेयो हास्पिटल से पहली बार हुआ आर्गन डोनेट, ब्रेन-डेड मरीज ने दिया 4 लोगों को जीवनदान

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-27 09:59 GMT
मेयो हास्पिटल से पहली बार हुआ आर्गन डोनेट, ब्रेन-डेड मरीज ने दिया 4 लोगों को जीवनदान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंदिरा गांधी वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में पहली बार आर्गन डोनेट किया गया। ब्रेन-डेड मरीज के लिवर, किडनी सहित आंखों को दान कर चार लोगों को जीवनदान दिया गया। न्यू ईरा हॉस्पिटल को लिवर, केयर और ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल में किडनी और मेयो में आंखें दी गईं। मेयो हॉस्पिटल में हुए पहले प्रयोग से डॉक्टर और कर्मचारियों को भी भावुक देखा गया। 

ब्रेन-डेड मरीज का नाम राम काकुमल खिलनानी (46) जरीपटका निवासी है। किराना व्यापारी खिलनानी के साथ 20 जुलाई को गिट्टीखदान परिसर में दुर्घटना हुई थी। इस दुर्घटना में वे बुरी तरह गंभीर हुए थे। परिजनों ने उपचारार्थ मेयो हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। सिर में जबर्दस्त चोट लगी थी। उपचार के दौरान 24 जुलाई को खिलनानी को ब्रेन-डेड घोषित किया गया। इस दौरान मेयो के डीन डॉ. अजय केवलिया, डॉ. वैशाली शेलगांवकर व मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ. संध्या मांजरेकर, डॉ. अभि चव्हाण ने पत्नी सिमरन को ट्रांसप्लांट बाबत समुपदेशन किया। सिमरन ने इस पर सहमति जताई।

अधिष्ठाता डॉ. केवलिया ने विभागीय अवयव प्रत्यारोपण समन्वय समिति की अध्यक्ष डॉ. विभावरी दानी और सचिव डॉ. रवि वानखेडे से संपर्क साधा। किडनी, लिवर और हार्ट की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की सूची देखकर संबंधित अस्पतालों को सूचित किया गया। न्यू ईरा हॉस्पिटल में एक मरीज लिवर की प्रतीक्षा में था। अस्पताल के संचालक डॉ. आनंद संचेती से संपर्क साधा गया। मरीज की दोनों में एक-एक किडनी ऑरेंज सिटी और केयर हॉस्पिटल को भेजी गई। आंखें मेयो में ही दान की गई। इस तरह चार लोगों को दान किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में मेयो हॉस्पिटल के समाज सेवा अधीक्षक चेतन मेश्राम, अजय वानखेडे, राहुल बनकर ने सराहनीय प्रयास किए। इनकी सहायता से कामों को गति मिली।

न्यू ईरा में आठवां लिवर ट्रांसप्लांट 
न्यू ईरा हॉस्पिटल में यह आठवां लिवर ट्रांसप्लांट था। नागपुर में अब तक 9 लिवर ट्रांसप्लांट हुए हैं। इसमें से 8 सिर्फ लकड़गंज स्थित न्यू ईरा हॉस्पिटल में हुए। ट्रांसप्लांट के कारण एक 46 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाने में सफलता मिलने की जानकारी डॉ. आनंद संचेती ने दी। 
 

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