खाद्य एवं औषधि विभाग का छापा: सेम्पल लिए, गंदगी से सने मिले हलवाई

खाद्य एवं औषधि विभाग का छापा: सेम्पल लिए, गंदगी से सने मिले हलवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-25 09:02 GMT
खाद्य एवं औषधि विभाग का छापा: सेम्पल लिए, गंदगी से सने मिले हलवाई

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मिष्ठान की दुकानों में दिखने वाले वर्क जितने चमकीले हैं उस मिठास को तैयार करने की प्रक्रिया उतनी ही भयानक है। खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम जब शुक्रवार को ऐसे ही ठिकानों पर पहुंची तो मिठाईयों के हाल देखकर दंग रह गई। बाकी की रही सही कसर गंदगी से सने हलवाईयों ने पूरी कर दी। दरअसल, पूरा नजारा फैक्टरी तो कम बल्कि किसी खदान की तरह ज्यादा नजर आया।

खाद्य एवं औषधि अधिकारी अमरीश दुबे के अनुसार, रक्षाबंधन पर्व के मद्देनजर खानपान की सामाग्री की क्वालिटी पर निगरानी रखने लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। इसी कड़ी में पांच प्रतिष्ठानों पर दबिश देते हुए अलग-अलग मिठाई व नमकीनों के सैम्पल एकत्र किए गए हैं। बताया गया कि दीनदायल चौक स्थित हीरा स्वीट्स से मलाई पेड़ा, लालमाटी स्थित मामू स्वीट्स से मगद के लड्डू, पाटन के मेसर्स मुकेश नेमा के यहां से मावा, ग्वारीघाट स्थित मां नर्मदा मिष्ठान भण्डार से पेड़े का सैम्पल लिया गया है।

वहीं प्राची स्वीट्स में कार्रवाई के दौरान गंदगी का अंबार लगा हुआ मिला, जिसके बाद दुकान संचालक को व्यवस्थाएं सुधारने हिदायत दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि साफ-सफाई का ध्यान अधिकांश दुकान संचालकों द्वारा नहीं दिया जाता। हालांकि स्वच्छता को लेकर प्रतिष्ठान संचालकों को समझाईश के साथ-साथ इस दिशा में आगे की कार्रवाई की जा रही है।

अधिकांश दुकानों के हाल- बेहाल
जिस भी दुकान के हालात देखो, उनमें ज्यादातर में दीवारों पर तेल की काली परत और फर्श पर सामाग्रियों की बिखरी पड़ी गंदगी का ही मंजर नजर आता है। इस सब के बीच यहां काम करने वाले हलवाई व मजदूरों की वेशभूषा पर गौर किया जाए, तो ऐसा लगता है, मानो ये पकवान या खाद्य सामाग्री बनाने वाले नहीं, बल्कि किसी कोयले की खान में काम करने वाले मजदूर हैं। जिनके मैले कपड़े और शरीर से टपकता पसीना इस बात की ओर इशारा करता है, कि शुद्धता का दावा कर बेची जा रही मिठाईयां व पकवान कितने हाईजीनिक हैं। क्योंकि इनको बनाने वाले खुद इतने गंदे और खराब स्थिति में काम करने को मजबूर हैं कि न चाहते हुए भी इनका पसीना पकवान तैयार करते वक्त किसी बर्तन या थाल में गिर ही जाता होगा।

बंद और बदबूदार कारखानों में काम करने मजबूर
सूत्रों की माने तो अब तक हुई कार्रवाई के दौरान ज्यादातर कारखानों में गंदगी तो मिली ही है, साथ-साथ इनका संचालन बंद या कम जगह वाले कमरों में किया जा रहा है। जिनसे न तो भट्टी से निकलने वाले धुंए के वेंटीलेशन की पर्याप्त व्यवस्था और न हीं यहां का माहौल मजदूरों के काम करने लायक है। इन विषम परिस्थितियों के बीच काम करने वाले मजूदर ठण्डे मौसम में भी पसीने से तरबतर रहते हैं। इस दिशा में न तो संचालक कोई ध्यान देता है और न ही मजदूरों को इससे कोई फर्क पड़ता है।

 

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