सरकारी स्कूलों की दुर्दशा - एक परिसर में चार स्कूल, पांच कक्षाओं में 50 छात्र भी नहीं

सरकारी स्कूलों की दुर्दशा - एक परिसर में चार स्कूल, पांच कक्षाओं में 50 छात्र भी नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-20 08:02 GMT
सरकारी स्कूलों की दुर्दशा - एक परिसर में चार स्कूल, पांच कक्षाओं में 50 छात्र भी नहीं

डजिटल डेस्क,कटनी। शहरी क्षेत्र के शासकीय स्कूल अंतिम सांसें गिन रहे हैं। रही-सही कसर अफसर, जनप्रतिनिधि और शासन की नीतियां पूरी कर रही हैं। शहर के शासकीय स्कूलों की दशा ऐसी है कि वहां अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने तैयार नहीं हैं।  शहर में हृदय स्थल स्थित एक परिसर में चार स्कूल संचालित होते हैं। इनमें से दो स्कूल ऐसे हैं जहां पांच कक्षाओं में 50 बच्चे भी नहीं हैं। नियमों को पेंच ऐसा कि उन स्कूलों को आपस में मर्ज भी नहीं किया जा सकता है। शासकीय स्कूलों की एक तस्वीर दो दिन पहले ही ग्रामीण क्षेत्र के एक स्कूल का वायरल हुए वीडियो में देखने मिली, जिसमें शिक्षक के तबादले से छात्र-छात्राएं फूट-फूटकर रो पड़े थे। वहीं दूसरी तरफ शहर के स्कूलों के हाल यह हैं कि शिक्षकों की भरमार के बाद भी यहां अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं।

दहाई आंकड़ा भी नहीं छू पा रहे

प्राथमिक शाला टीसी बजान एवं उर्दू माध्यम स्कूल की किसी कक्षा में छात्रों की संख्या दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पा रही है। प्राथमिक शाला टीसी बजान में कुल 32 छात्र दर्ज हैं। इनमें से बमुश्किल 20 बच्चे ही स्कूल आते हैं।  इस स्कूल में दो शिक्षक पदस्थ हैं। यहां पहली कक्षा में आठ, दूसरी में पांच, तीसरी में तीन, चौथी एवं पांचवीं में आठ-आठ छात्र दर्ज हैं। इसी स्कूल के बगल में दो कमरों में उर्दू माध्यम प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला संचालित होती है। उर्दू माध्यम प्राथमिक शाला में कुल 18 बच्चे दर्ज हैं। पहली में पांच, दूसरी में चार, तीसरी में दो, चौथी में दो एवं पांचवीं में चार बच्चे दर्ज हैं। इसी तरह उर्दू माध्यम मिडिल स्कूल में 47 छात्र-छात्राएं दर्ज हैं पर इनमें से 20-20 भी स्कूल नहीं आते हैं।

इनका कहना है

यह सही है कि एक ही परिसर में दो प्रायमरी एवं दो मिडिल स्कूल संचालित हो रहे हैं। टीसी बजान स्कूल को यहां शिफ्ट किया गया है। छात्रों की संख्या कम होने के बाद भी उन स्कूलों को मर्ज नहीं किया जा सकता है। क्योंकि एक-एक प्रायमरी व मिडिल स्कूल उर्दू माध्यम एवं दूसरे स्कूल हिन्द्री माध्यम हैं। - विवेक दुबे, बीआरसी कटनी

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