कम बारिश से निर्माण हुई सावन में भी सिंचाई हेतु पानी देने की नौबत, पालकमंत्री ने जताई चिंता
कम बारिश से निर्माण हुई सावन में भी सिंचाई हेतु पानी देने की नौबत, पालकमंत्री ने जताई चिंता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इस बार बारिश कम होने के कारण नागपुर,भंडारा जिले के 70 हजार किसानों पर जलसंकट छाया हुआ है। इसके अलावा 4 लाख लोग भी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। पिछले 15 सालों से ऐसा संकट देखने को नहीं मिला। किसानों को जो पानी फसल खड़ी होने के बाद देते थे, वह पानी किसान बुआई के लिए मांग रहे हैं। समस्या की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस व जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन ने पेंच प्रकल्प से 100 एमएलडी पानी देने का निर्णय लिया है। यह बात पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।
बारिश नहीं हुई तो दूसरा पानी नहीं दे पाएंगे
महल स्थित टाउन हाॅल में पालकमंत्री ने कहा कि किसानों को बताकर और पूरी तरह समझाकर पानी छोड़ा जाएगा, ताकि पानी की बर्बादी न हो। चूंकि इस बार पानी की कमी है इसलिए पहले ही किसानों को सारी परिस्थिति बता रहे हैं। यदि शेष बचे मानसून में बरसात नहीं हुई तो हम दूसरा पानी नहीं दे पाएंगे। इस समय सरकार की कार्यप्रणाली पर उंगली न उठाएं, क्योंकि यह प्राकृतिक समस्या है। हम किसानों की मांग पर ही फसल की बुआई के लिए पानी छोड़ रहे हैं। यदि अच्छी बारिश हुई तो हम उन्हें पानी दे भी सकते हैं, लेकिन अभी से वादा नहीं कर सकते हैं।
नागरिकों को समझनी होगी समस्या
जरूरत पड़ने पर हम कोराड़ी में बिजली बनाने वाले प्लांट को बंद कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में नागरिकों को भी समस्या को समझना होगा। घर में गाड़ी धोने, कूलर और बगीचों में पानी डालने के पहले किसानों के बारे में सोचना चाहिए। प्रेस कांफ्रेंस में महापौर नंदा जिचकार, जिला परिषद अध्यक्ष निशा सावरकर, विधायक कृष्णा खोपड़े, अनिल सोले, सुधाकर कोहले, आशीष देखमुख, जोगेन्द्र कवाडे, उपमहापौर दीपराज पार्डीकर, मनपा सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी, विपक्ष नेता तानाजी वनवे, आयुक्त वीरेन्द्र सिंह उपस्थित थे।
पानी लीकेज गंभीर समस्या
शहर में सप्लाई होने वाले पानी में 25 से 50 फीसदी की बर्बादी है। इतना ही नहीं, धंतोली जोन में 50 फीसदी, सतरंजीपुरा जोन में 70 फीसदी, आशीनगर जोन में 65 फीसदी, गांधीबाग जोन में 70 फीसदी, मंगलवारी जोन में 50 फीसदी पानी का लीकेज है, जो एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। इसे कम करने के निर्देश कई बार दिए जा चुके हैं। पानी वितरण करने वाली संस्था को शपथपत्र देना होगा। 5 हजार कुएं डीपीडीसी से सही करने होंगे। बोरवेल भी खराब पड़े हुए हैं। यदि भूजलस्तर नहीं बढ़ाया तो संकट और गहरा सकता है। हमें वॉटर हार्वेस्टिंग की आवश्यकता है।