फूड लाइसेंस पर चल रही थी क्लीनिक, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दो अवैध क्लीनिकों पर की कार्रवाई

फूड लाइसेंस पर चल रही थी क्लीनिक, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दो अवैध क्लीनिकों पर की कार्रवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-05 08:36 GMT
फूड लाइसेंस पर चल रही थी क्लीनिक, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दो अवैध क्लीनिकों पर की कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, शहडोल। झोलाछाप व अवैध रूप से संचालित हो रही क्लीनिक पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दबिश देते हुए कार्रवाई की। गोहपारू व खन्नौधी में टीम ने दो क्लीनिकों को सील करते हुए बड़ी मात्रा में ऐसी दवाईंयां व उपकरण जब्त किए जो बिना किसी मंजूरी के रखे गए थे। खन्नौधी में सेन्ट्रल बैंक के सामने प्रकाश तिवारी द्वारा अवैध रूप से क्लीनिक संचालित किया जा रहा था। कार्रवाई करने पहुंची टीम ने पाया कि फूड लाइसेंस की आड़ में एलोपैथी दवाईयों की बिक्री व मरीजों का इलाज किया जा रहा था।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देशन में बीएमओ बुढ़ार डॉ. सचिन कारखुर व रूजोपचारी अधिकारी राकेश श्रीवास्तव की टीम मंगलवार को गोहपारू पहुंची। जैतपुर रोड में बंगाली डॉक्टर जीपी समझदार द्वारा ग्रामीणों का इलाज किया जा रहा था। उनके पास कोई डिग्री व वैध दस्तावेज नहीं मिले। क्लीनिक से 50 से अधिक प्रकार एलोपैथी दवाईयां, बॉटल, इंजेक्शन, सीरप आदि जब्त किए गए। 

बनी विवाद की स्थिति
खन्नौधी में प्रकाश तिवारी की क्लीनिक में कार्रवाई करने पहुची टीम को विरोध का सामना करना पड़ा। संचालक द्वारा भभकी दी गई कि उनके पास लाइसेंस है। जब दस्तावेज का निरीक्षण किया गया तो उसमें फूड संबंधी मंजूरी थी, यानि ठण्डा पेय आदि की बिक्री की जा सकती है। संचालक के इशारे पर कई लोग जमा हो गए। विवाद बढ़ता देख टीम ने पुलिस की मदद लेनी चाही, लेकिन गोहपारू थाने से उपलब्ध नहीं हो सकी। जबकि सीएमएचओ की ओर से गोहपारू थाने को पत्र जारी कर पुलिस बल मुहैया कराने की बात कही गई थी।

यूरिया की किल्लत भटक रहे किसान
शहडोल समेत पूरे संभाग में यूरिया की भारी किल्लत है। किसी भी सहकारी समिति में यूरिया उपलब्ध नहीं है। किसान यहां से वहां भटक रहे हैं। वहीं अधिकारियों का कहना है कि यूरिया का रैक लग गया है। दो-तीन दिनों में संभाग की सभी सहकारी समितियों में यूरिया पर्याप्त मात्रा में उलब्ध हो जाएगा। संभाग में मुख्य रूप से धान की खेती की जाती है। करीब 15 दिन पहले रोपाई का काम पूरा हो चुका है। अब धान के पौधे खड़े हो गए हैं। सितंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में फसलों में यूरिया का छिड़काव करना अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी होता है, लेकिन संभाग में यूरिया है ही नहीं।

किसान यूरिया के लिए परेशान हैं और दुकानों के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। पठरा, सिंहपुर, बोड़री, जोधपुर, अमरहा, खैरहनी, गोपालपुर, बरतरा आदि गांवों में समय से रोपाई का काम हो गया था। यहां के किसान इस समय यूरिया के लिए परेशान हैं, क्योंकि फसलों में अगर समय से यूरिया नहीं पड़ा तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
 

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