हाईकोर्ट: दोषी अफसरों के खिलाफ चल रहे मुकदमों का जल्द हो निराकरण

हाईकोर्ट: दोषी अफसरों के खिलाफ चल रहे मुकदमों का जल्द हो निराकरण

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-21 16:45 GMT
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डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट ने दस साल पुरानी उस जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है, जिसमें तीन जिलों के बैगा आदिवासियों को मिलने वाले मुआवजे में अधिकारियों द्वारा हेराफेरी किए जाने के आरोप लगाए गए थे। एक्टिंग चीफ जस्टिस रविशंकर झा और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अधिकारियों से उम्मीद जताई है कि जो भी विभागीय व आपराधिक कार्रवाईयां की जा रहीं हैं, उन्हें जल्द से जल्द किसी ठोस नतीजों पर पहुँचाया जाए। बालाघाट, मण्डला और डिण्डोरी जिले में रहने वाले बैगा आदिवासियों की बदहाल स्थिति को चुनौती देकर यह मामला लांजी में रहने वाले किशोर समरीते की ओर से वर्ष 2009 में दायर किया गया था। याचिका में आरोप है कि तीनों जिलों के बैगा आदिवासियों को मिलने वाले मुआवजे में भारी हेराफेरी की गई है।  14 जुलाई 2014 को हाईकोर्ट ने बालाघाट के जिला सत्र न्यायाधीश को कहा था कि वे एडीजे की नियुक्ति आयोग के रूप में करके बैगा आदिवासियों की हकीकत का पता लगवाकर रिपोर्ट पेश कराएं। हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में विस्तृत  रिपोर्ट सीलबंद बस्तों में हाईकोर्ट में पेश की गई थी।
यह कहा सुनवाई के दौरान-
हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को कहा था कि इस मुद्दे पर सरकार का अगला कदम क्या होगा, इसका विस्तार से जवाब दिया जाए। 12 जनवरी 2015 को राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून, अजा-जजा अत्याचार निवारण अधिनियम और भादंवि की धारा120बी सहित विभिन्न धाराओं में दोषियों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज हुई है। इनमें 3 आदिवासी, 2 बैंक अधिकारी और एक सरपंच शामिल है। साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को सौंपी गई है।
दावा पेश कर सकते हैं पीडि़त-
मामले  पर आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राहुल चौबे और शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी हाजिर हुए। सरकार की ओर से पेश स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद युगलपीठ ने पाया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट के साथ विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है। इस पर युगलपीठ ने याचिका को और लंबित रखने से इंकार करके कहा कि जो भी पीडि़त अपने हक से वंचित हो रहा हो, वो संबंधित अधिकारी के पास अपना दावा पेश कर सकता है। इस मत के साथ युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया।

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