NDFA को दी गई जमीन की लीज रद्द करने हाईकोर्ट ने NIT को दिए आदेश

NDFA को दी गई जमीन की लीज रद्द करने हाईकोर्ट ने NIT को दिए आदेश

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-28 07:52 GMT
NDFA को दी गई जमीन की लीज रद्द करने हाईकोर्ट ने NIT को दिए आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में  मनोज सांगोड़े द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में उद्यान की जमीन नागपुर डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन (एनडीएफए) फुटबॉल स्टेडियम के लिए आवंटित करने का विरोध किया गया है।  हाईकोर्ट ने नागपुर सुधार प्रन्यास को आदेश दिए कि वे एनडीएफए को दी गई जमीन की लीज रद्द करने के लिए नोटिस जारी करे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह रखी है। जरीपटका क्षेत्र के सहयोग नगर में फुटबॉल स्टेडियम को लेकर नागपुर महानगरपालिका और नागपुर सुधार प्रन्यास आमने-सामने है। एक ओर मनपा ने जहां इस जगह पर उद्यान और खेल मैदान विकसित किया है। दूसरी ओर नागपुर सुधार प्रन्यास ने नागपुर डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन को फुटबॉल स्टेडियम बनाने के लिए जमीन आवंटित कर दी है। आरोप है कि एसोसिएशन ने खेल मैदान और उद्यान उजाड़ दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सेजल लाखानी रेणु ने पक्ष रखा।

यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार 15 अक्टूबर 1990 को नासुप्र ने मनपा को इसे खेल मैदान और उद्यान के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी दी थी। आखिरकार वर्ष 2016 में तैयारियां शुरू हुईं। वर्ष दिसंबर 2017 में 24 लाख 81 हजार के खर्च से खेल मैदान और उद्यान विकसित किया गया।याचिका में कोर्ट को बताया गया है कि 5 अक्टूबर 2010 को नागपुर डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन ने नासुप्र को प्रस्ताव भेजकर इस भूखंड को फुटबॉल स्टेडियम के रूप में विकसित करने की विनती की। उनकी विनती को मान कर नासुप्र ने उन्हें भूखंड आवंटित कर दिया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि एसोसिएशन ने पुलिस बल की मदद से स्केटिंग रिंग तोड़ िदया। ग्रीन जिम, झूले और अन्य उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया। बगैर अनुमति ऐसा करने पर मनपा ने एसोसिएशन के खिलाफ जरीपटका पुलिस थाने में शिकायत भी की। याचिका में नासुप्र द्वारा एसोसिएशन को किए गए आवंटन को खारिज करने की मांग की गई है।

पीडब्ल्यूडी ने कोर्ट को बताया हाईवे मेंटेनेंस का कार्यक्रम
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में बुटीबोरी-तुलजापुर राष्ट्रीय महामार्ग की अनदेखी पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के पिछले आदेश के अनुसार राज्य सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने सड़क के मेंटेनेंस से जुड़ा कार्यक्रम प्रस्तुत किया। पीडब्ल्यूडी ने कोर्ट को बताया कि पीडब्ल्यूडी का नागपुर विभाग नागपुर-पुलगांव तक की सड़क का सुधार कार्य 18 दिसंबर तक पूरा कर लेगा। इसी तरह अकोला विभाग चिखली से जालना  तक की सड़क का सुधार कार्य जून 2020 तक पूरा करेगा। मार्ग मंे 11 किमी का पट्टा वन विभाग के अधिकार से होकर गुजरता है। सड़क का काम वन विभाग की अनुमति के बाद शुरू हो सकता है। ऐसे में हाईकोर्ट ने वन विभाग को सड़क कार्य के लिए एक माह मंे अनुमति देने को कहा है, वहीं सड़क का एक हिस्सा एनएचएआई को सुपुर्द किया गया है। एनएचएआई ने हाईकोर्ट को बताया कि पुलगांव से जालना तक की 285 किमी सड़क का काम अगस्त 2020 तक पूरा किया जाएगा। इस पूरे प्रकरण में हाईकोर्ट ने स्वतंत्र कमेटी के मार्फत मार्ग की जांच कराई थी। समिति की सिफारिश पर एनएचएआई क्या अहम काम करने जा रहा है, इस पर उन्हें गुरुवार की सुनवाई में जवाब देना है। 

यह है मामला
एचसीबीए पूर्व अध्यक्ष एड. अरुण पाटील ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर महामार्ग के कामकाज में हुई लापरवाही का मुद्दा उठाया है। बुटीबोरी-तुलजापुर हाईवे को एनएचएआई और राज्य पीडब्ल्यूडी एक दूसरे पर डाल रहे थे। हाईकोर्ट ने 11 अक्टूबर को मंत्रालय को हाईवे की जिम्मेदारी तय करने के आदेश दिए, जिसके बाद उन्होंने पुलगांव से जालना बायपास तक का स्ट्रेच नोटिफाई करके राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को इसकी जिम्मेदारी दी, लेकिन अगले दो स्ट्रेच वर्धा-पुलगांव और चिखली-मेहकर को अब तक नोटिफाई नहीं करने से उसकी जिम्मेदारी तय नहीं की, जिससे नाराज हाईकोर्ट ने मंत्रालय को 25 करोड़ भरने का आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कोर्ट में रकम जमा कराई है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा। 

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