हाईकोर्ट ने समझी बुजुर्ग पेंशनरों की पीड़ा, तलब किया कुलपति,रजिस्ट्रार सहित 3 अन्य को

हाईकोर्ट ने समझी बुजुर्ग पेंशनरों की पीड़ा, तलब किया कुलपति,रजिस्ट्रार सहित 3 अन्य को

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-08 09:16 GMT
हाईकोर्ट ने समझी बुजुर्ग पेंशनरों की पीड़ा, तलब किया कुलपति,रजिस्ट्रार सहित 3 अन्य को

डिजिटल डेस्क जबलपुर । एरियर्स का भुगतान न किए जाने संबंधी उम्रदराज पेंशनरों की पीड़ा को समझते हुए हाईकोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के कुलपति, रजिस्ट्रार और कंट्रोलर को तलब किया है। इस मामले में पेंशनरों का दावा है कि पात्र होने के बाद भी विवि प्रशासन द्वारा उन्हें पेंशन एरियर्स का बाजिव हक नहीं दिया जा रहा है। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 नवम्बर को दोपहर ढाई बजे निर्धारित करते हुए तीनों अधिकारियों को हाजिर रहने कहा है।
मामला वर्ष 2018 में दायर किया गया 
जनेकृविवि पेंशनर्स परिषद के अध्यक्ष डॉ. सीएल चौबे, डॉ. ओपी कटियार और डॉ. वायसी सनोढिया की ओर से यह मामला वर्ष 2018 में दायर किया गया था। आवेदकों का कहना है कि शासन से एरियर्स की राशि मिलने के बाद भी विवि द्वारा पेंशनरों को 26 महीनों के पेंशन एरियर्स की डिफरेंस राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा। आवेदकों का दावा है कि पेंशनरों व उनके परिवारों के दावे वर्ष 1996 से लंबित हैं और विवि प्रशासन द्वारा उनके साथ हमेशा से पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। कानूनन, उनकी सेवा शर्तें शासकीय पेंशनर्स से कम नहीं हो सकतीं, इसके बाद भी उनके न्यायोजित क्लेम को देने में विवि द्वारा अनियमित्ता की जा रही है। आवेदकों का आरोप है कि शासन ने दूसरे पेशनरों को दीपावली पूर्व पेंशन का भुगतान कर दिया, लेकिन विवि के पेंशनरों को कोई भुगतान नहीं किया। दूसरे पेंशनरों की मंहगाई राहत में 1 जनवरी 2019 सेबढ़ोत्तरी कर दी, लेकिन विवि के पेंशनरों को कोई राहत नहीं दी गई। अपने पेंशनरों को शासन ने 1 अप्रैल 2018 से सातवें वेतनमान की सिफारिशों को लागू कर दिया, लेकिन विवि के पेंशनर आज भी उस लाभ से वंचित हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट के आदेश के बाद भी वर्ष 1996 से पहले रिटायर हो चुके पेंशनरों को 1 जनवरी 1996 से 31 मार्च 2007 के बीच का पेंशन डिफरेंस नहीं दिया गया। आवेदकों का कहना है कि अधिकांश जीवित पेंशनरों की उम्र 80 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है। पहले यह संख्या 12 सौ थी, जो घटकर अब महज 4 सौ बची है। बड़ी संख्या में पेंशनरों का देहान्त हो जाने से वे अपना बाजिव हक नहीं पा सके। कई बार आग्रह करने के बाद भी कोई राहत न मिलने पर यह याचिका दायर की गई।
 

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