जानकारी जुटाने में फेल हो रहा खुफिया तंत्र, अब होगी छटनीं

जानकारी जुटाने में फेल हो रहा खुफिया तंत्र, अब होगी छटनीं

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-13 06:29 GMT
जानकारी जुटाने में फेल हो रहा खुफिया तंत्र, अब होगी छटनीं

टीम डिजिटल, भोपाल। अब मप्र पुलिस के इंटेलिजेंस और स्पेशल ब्रांच (एसबी) से जल्द ही पुलिसकर्मियों की छटनीं होगी। एक महीने के अंदर प्रदेश में तीन बड़ी घटनाओं ने पुलिस का इंटेलीजेंस (खुफिया) तंत्र फेल होने की हकीकत सामने ला दी। खासतौर से किसान आंदोलन के चलते राज्य में प्रशासनिक और पुलिस की विफलता के चलते स्थिति सबसे ज्यादा खराब हुई। जानकारी के अनुसार एडीजी इंटेलीजेंस राजीव टंडन ने ऐसे पुलिसकर्मियों की सूची तैयार करने कहा है, जिनका परफॉर्मेंस लगातार गिर रहा है। इस सूची में आधा दर्जन एसआई से लेकर डीएसपी रैंक तक के पुलिसकर्मी शामिल हैं। इसके अलावा डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला भी इंटेलीजेंस और एसबी द्वारा लगातार सूचनाओं के आकलन में विफल रहने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करवा रहे हैं।

निगरानी में भी फेल
डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला के निर्देश पर इंटेलीजेंस ने सोशल मीडिया पर निगरानी का काम भी शुरू किया था। यहां तक की स्पेशल ब्रांच के करीब एक दर्जन पुलिसकर्मियों को पहचान छिपाकर अलग-अलग आईडी से फेसबुक और वॉट्सग्रुप से जुड़ने को कहा गया, लेकिन यहां भी पुलिस फेल रही।

सूचनाओं का संकलन
इंटेलीजेंस और स्पेशल ब्रांच का काम ऐसी सूचनाओं का संकलन करना है, जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्ना होने की आशंका हो, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते इंटेलीजेंस और एसबी की टीम को आम लोगों की समस्या जानने में लगा दिया।

अफसरों का दफ्तर प्रेम
सूचनाओं के सही आकलन नहीं होने के पीछे बड़ी वजह अफसरों का दफ्तर प्रेम है। इसके चलते इंटेलीजेंस का इस्तेमाल सरकार द्वारा सर्वे करवाने, फोन टेप करवाने व अन्य जानकारी जुटाने के लिए करने से भी काफी हद तक प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह है कि मूल काम को छोड़कर अन्य कई काम उस पर लाद दिए गए हैं। पूरा खुफिया तंत्र सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व के लिए ही सूचनाएं जुटाना कर्तव्य मानने लगा है, जिसके चलते आम लोगों में उनकी पैठ नहीं रही। यही कारण है कि प्रदेश में आए दिन उन्माद की घटनाएं बढ़ रही हैं। खुफिया विंग के एडीजी रोजाना मुख्यमंत्री से मुलाकात करते हैं और उन्हें प्रदेश के हालात से अवगत करवाते हैं। पर कुछ सालों से आए बदलाव के बाद इस मुलाकात में खुफिया जानकारी को छोड़ बयानबाजी से लेकर राजनीतिक विरोधियों और विपक्षी दल के नेताओं की पूरी रिपोर्ट होती है।

 

 

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