पद्मश्री पाने वाले भज्जू श्याम के गांव में हर घर में हैं चित्रकार

पद्मश्री पाने वाले भज्जू श्याम के गांव में हर घर में हैं चित्रकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-29 08:07 GMT
पद्मश्री पाने वाले भज्जू श्याम के गांव में हर घर में हैं चित्रकार

भास्कर न्यूज करंजिया/डिण्डौरी। करंजिया विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पाटनगढ़ के आदिवासी कलाकार भज्जू श्याम को हाल ही में पद्म श्री अवार्ड से विभूषित किया गया।  सम्मान मिलने के बाद परिवार और गांव में खुशी की लहर है। अताया जाता है कि आदिवासी चित्र कला को प्रदेश ही नहीं अपितु देश देश विदेश में अपनी पहचान बनाने वाले 46 वर्षीय भज्जू श्याम के गांव पाटनगढ़ में हर घर में एक चित्रकार मौजूद है और उसकी चित्रकला प्रदेश व देश स्तर पर सराही गई है। जहां के कलाकार कई ख्यातिलब्ध परिवार में जाकर अपनी कला को निखारते रहे है। कुछ समय पूर्व जिले के कलाकारों ने रानी मुखर्जी के घर का पर चित्रकारी का नमूना भी पेश किया बताया जाता है कि गोंडी कला और आदिवासी चित्रकारी की पहचान बनाने वाले ग्रामीणों ने भज्जू श्याम की उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया। और कहा कि उनके दादा जनगण श्याम और पिता गेंदलाल श्याम से उन्हें कला विरासत में मिली है और यहीं कला वर्तमान में ग्रामीणों की पहचान बन चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि ने देश में चित्रकला के नक्शे पर आदिवासी बाहुल्य जिले के इस छोटे से गांव को भी अंकित करा दिया जो कि जिले के लिए गौरव की बात है।
यूरोप में भी मिली प्रसिद्धी
पाटनगढ़ निवासी आदिवासी  कलाकार भज्जू श्याम को पद्मश्री अवॉर्ड मिलने से उनके परिवार में खुशी की लहर है। आदिवासी समुदाय गोंड के आर्टिस्ट के रूप में प्रदेश में ही नही बल्कि देश और विदेश में अपनी पहचान बनाई हैं। वे अपनी गोंड पेंटिंग के जरिए यूरोप में भी प्रसिद्धी हासिल कर चुके हैं। बताया जाता है कि भज्जू श्याम के कई चित्र किताब का स्वरुप ले चुके हैं। द लंदन जंगल बुक्स 5 विदेशी भाषाओं में छप चुकी है। आदिवासी गरीब परिवार में इनका जन्म हुआ था। वे रात में चौकीदार की नौकरी भी कर चुके हैं। प्रोफेशनल आर्टिस्ट बनने से पहले भज्जू श्याम ने इलेक्ट्रिशियन का काम भी किया ताकि अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सकें। गोंड कलाकार भज्जू श्याम की पेंटिंग की दुनिया में अलग ही पहचान बनी है। 1971 में जन्मे भज्जू श्याम की मां घर की दीवारों पर पारंपरिक चित्र बनाया करती थीं और दीवार के उन भागों पर जहां उनकी मां के हाथ नहीं पहुंच पाते थे। भज्जू श्याम अपनी मां की मदद करते थे। सरकार से पद्मश्री पुरुकार मिलने की खबर जैसे ही उनके गांव तक पहुंची तो उनके मातापिता और परिवार के लोगों के अलावा गांव में मित्रों की खुशी का ठिकाना नही रहा।

 

Similar News