आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास की जगह दी गई झोपड़ियां, रिश्वत में अधिकारियों ने खाया चिकन

मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की हदें पार  आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास की जगह दी गई झोपड़ियां, रिश्वत में अधिकारियों ने खाया चिकन

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-21 10:14 GMT
आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास की जगह दी गई झोपड़ियां, रिश्वत में अधिकारियों ने खाया चिकन
हाईलाइट
  • डिंडोरी जिले के कन्हारी गांव है पूरा मामला

डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्यप्रदेश में अधिकारियों ने रिश्वतखोरी की सारी हदें पार कर दी है। सरकारी अधिकारियों ने पहले तो गरीब आदिवासियों का हक छीना फिर उनसे झोपड़ी देने के नाम पर चिकन खा लिया। ये बात हम नहीं कह रहे है। बल्कि ये आरोप गांव के आदिवासियों ने अधिकारियों पर लगाए है।

डिंडोरी जिले के एक गांव में आदिवासियों ने आरोप लगाया कि, उन्हें प्रधानमंत्री आवास के नाम पर फूस की झोपड़ियां दी गई हैं और वो भी रिश्वत देने के बाद मिली है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक ग्रामीण ने कहा कि, पीएम आवास के नाम पर मुझसे चिकन खाया गया है। 

अधिकारियों ने क्या कहा?
जब ग्रामीणों द्वारा लगाए गए इन आरोपों से मामला प्रकाश में आया तो, अधिकारियों ने इसकी जांच की और कहा कि,"डिंडोरी जिले के गौरा कन्हारी गांव में सिर्फ एक घर इस स्टैंडर्ड का पाया गया है।"

स्थानीय लोग क्या कहते है?
गौरा कन्हारी गांव डिंडोरी जिला मुख्यालय  से लगभग 55 किमी. की दूरी पर है। सरपंच ललिया बाई के पति बुध सिंह मीडिया से बात करते हुए बताया कि, उनका घर और उनके भाई का घर पीएम आवास के तहत बना है और उसमें पक्की छत तक नहीं है। वहीं भाई के घर पर तो नींव भी नहीं है। उन्हें इसके लिए रिश्वत देनी पड़ी थी। इस पूरे मामले में ग्रामीणों का कहना है कि, केंद्र की योजना पीएम आवास के तहत बने लगभग  2 दर्जन घर एक जैसे ही बने है। एक दूसरा लाभार्थी, जिसका नाम छोटेलाल बैगा है, उन्होंने बताया कि, पीएम आवास के लिए उन्होंने कई अधिकारियों को रिश्वत दी और रिश्वत के तौर पर अपनी एक मुर्गी भी दे दी। 

प्रशासन ने क्या किया?
जब ये बात मीडिया के जरिए आग की तरह फैली तो, एक जांच दल का गठन किया गया। टीम ने अपनी जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की और बताया कि, इस तरह का सिर्फ एक घटिया घर उन्हें मिला है, जिसके बाद डिंडोरी कलेक्टर ने बताया कि, जांच रिपोर्ट को देखते हुए ग्राम सचिव और ग्राम रोजगार सहायक को हटा दिया गया है और रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। 

 

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